
बिहार की राजनीति इन दिनों विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों से गरम है. इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने मछुआरों के लिए एक बड़ी सौगात का ऐलान किया है. मत्स्य विभाग की ओर से "नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना" की शुरुआत की गई है, जिसके तहत राज्यभर के पारंपरिक मछुआरों को नाव और जाल खरीदने पर 90% तक की सब्सिडी मिलेगी. इस योजना का उद्देश्य न केवल मछुआरों की आय बढ़ाना है, बल्कि बिहार के मत्स्य उद्योग को नई दिशा देना भी है.
मछुआरों के लिए राहत
मछुआरा समुदाय लंबे समय से सरकारी मदद की उम्मीद कर रहा था. मत्स्य पालन, बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है, और बड़ी संख्या में परिवार इसी पर निर्भर हैं. ऐसे में सरकार का यह कदम मछुआरों के लिए उम्मीद की एक रोशनी है.
पैकेज की लागत और सब्सिडी का लाभ
राज्य सरकार ने पैकेज की इकाई लागत भी तय कर दी है, जिसमें लागत कुछ इस तरह से है: लकड़ी की नाव पैकेज – ₹1,24,400 और एफ.आर.पी. (फाइबर रिइन्फोर्स्ड प्लास्टिक), नाव पैकेज – ₹1,54,400. वहीं, कॉस्ट फेका जाल पैकेज की कीमत ₹16,700 है. इन तीनों में से किसी एक पैकेज का लाभ लाभुक को दिया जाएगा. खास बात यह है कि इन पैकेजों पर 90% तक का अनुदान मिलेगा.
कौन उठा सकता है योजना का लाभ?
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पारंपरिक मछुआरे
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मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्य
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महिला मछुआरे
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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से जुड़े मछुआरे
चयन प्रक्रिया
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि लाभुकों का चयन किसी भी प्रकार की सिफारिश या दबाव के आधार पर नहीं होगा. इसके लिए उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में एक चयन समिति गठित की जाएगी, जो आवेदन की जांच कर पात्र मछुआरों का चयन करेगी. इससे योजना में पारदर्शिता बनी रहेगी और सही लाभार्थी तक मदद पहुंच सकेगी. साथ ही, सरकार का अनुमान है कि इस योजना के लागू होने से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राज्य की मत्स्य अर्थव्यवस्था भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी.
आवेदन प्रक्रिया
सरकार ने आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल कर दी है. इच्छुक मछुआरों को fisheries.bihar.gov.in वेबसाइट पर जाकर 31 दिसंबर 2025 तक आवेदन करना होगा. इसके लिए मोबाइल नंबर, आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और मत्स्य शिकार माही से जुड़े दस्तावेज ज़रूरी होंगे. आवेदन की आखिरी तारीख तय होने से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अधिक से अधिक पात्र मछुआरे समय पर लाभ उठा सकें.
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