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खेतों और पशुओं को नहीं होगा नुकसान, बस किसान और पशुपालक अपनाएं ये जरूरी उपाय

मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश के किसानों की फसलों के लिए जरूरी सलाह जारी करते हुए इस मौसम में बचाव के कुछ उपाय बताए हैं. ये उपाय इस लेख में जानते हैं.

अनामिका प्रीतम
Farmer News
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भारत सरकार,पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय,मौसम केंद्र,शिमला ने हिमाचल प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा के ऊपरी हिस्से और चंबा के किसानों और पशुपालकों के लिए जरूरी और विशेष जानकारी दी है. ये जानकारी फिलहाल चल रहे मौसम को देखते हुए दी गई हैं. तो चलिए इसके बारे में जानते हैं...

भंडारित अनाज

चावल की घुन, कम अनाज बेधक और धान के कीट जैसे भंडारित अनाज के कीटों के हमले के लिए मौसम अनुकूल है. ऐसे में अनाज की दुकान के डिब्बे में सेल्पोस (3 जी) या क्विकफॉस (12 ग्राम) या फुमिनो पाउच की एक थैली को बिन के बीच में एक गीले कपड़े में रखें और संग्रहित अनाज कीटों को नियंत्रित करने के लिए बिन को कुछ समय के लिए एयरटाइट रखें.

चावल

किसानों को सलाह दी जाती है कि 20-25 दिन पुरानी धान की रोपाई तैयार खेतों में करें. किसानों को खेत में बारिश के पानी के संरक्षण के लिए बांध बनाने की सलाह दी जाती है. बांध ऊंचा और चौड़ा होना चाहिए, ताकि खेत में अधिक वर्षा जल का संरक्षण किया जा सके.

मक्का

खेतों में उचित जल निकासी चैनल बनाएं. सभी खरीफ फसलों में निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. जिन स्थानों पर मक्के की फसल 2 या 3 सप्ताह पुरानी है, वहां निराई का समय है.

फॉल आर्मी वर्म आजकल मक्का का एक गंभीर कीट है. इस कीट की निगरानी के लिए 4 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से फेरोमोन ट्रैप लगाएं. अंडे और लार्वा को कुचलकर नष्ट कर दें. यदि संक्रमण 10 प्रतिशत से अधिक है, तो नीम के बीज की गिरी का अर्क @ 5 मिली/लीटर या क्लोराट्रिनिलिप्रोल 18.5 एससी @ 0.4 मिली/लीटर का छिड़काव करें.

चारा फसलें और घास के मैदान/चारागाह

लैंटाना झाड़ियों वाले घास के मैदानों/चारागाहों में 2-3 पत्तियों वाली अवस्था में ग्लाइफोसेट 1% घोल का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. घास के मैदानों में एग्रेटम, एरीगेरॉन, बाइडेंस और पार्थेनियम के लिए एक कनाल में 30-32 लीटर पानी में 2-4-डी @ 50 ग्राम का छिड़काव करें.

दाल

मूंग और कुलठी के खेतों में जल निकासी उचित होनी चाहिए. खेत के अंदर पानी जमा न होने दें.

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सब्ज़ियाँ

किसानों को सलाह दी जाती है कि परिपक्व सब्जियों की कटाई सुबह-शाम करें और फसल की कटाई के बाद छाया में रखें. जल निकासी सुविधा की व्यवस्था करें और भारी वर्षा के दौरान सिंचाई से बचें.

पशुपालकों के लिए जरूरी सलाह

मास्टिटिस से बचने के लिए उन्नत गर्भावस्था वाली गायों में स्वच्छता सुनिश्चित करें. पैरों और मुंह की बीमारी के लिए जानवरों की निगरानी करें और बछड़ों को परजीवियों से बचाने के उपाय करें. इस मौसम में गौशाला में एक्टो-पैरासाइट हमले की आशंका है. इसलिए इसके नियंत्रण के लिए गायों को 2 मि.ली. प्रति लीटर की दर से ब्यूटोक्स घास और हरे चारे का मिश्रण दें. इसके साथ ही जानवरों को प्रति वयस्क प्रति दिन 40 ग्राम खनिज मिश्रण प्रदान करना जारी रखें.

English Summary: Farms and animals will not be harmed, just farmers and livestock owners should adopt these necessary measures Published on: 26 August 2022, 05:10 PM IST

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