यदि आपने अपने खेत को बटाई पर दे रखा है तो आपको भी दस फीसदी आयकर भरना होगा. अब सरकार ने तय किया है कि आपसे आपकी जमीन या खेत से उत्पादित होने वाली फसल के कुल मूल्य का 10 फीसदी आपको कर के रुप में देना होगा. सालाना ढ़ाई लाख से कम आमदनी वालों किसानों को इस नियम से बाहर रखा गया है.
प्रायः देखा जाता जाता है कि जनवरी में आय कर देने से बचने के लिए लोग कहते हैं कि ये कमाई हमारी जमीन अथवा खेत से हुई है और इस बहाने वे आयकर देने से बच जाते हैं. लेकिंन अब सरकार को यह बताना होगा कि व्यक्ति खुद से खेती करता है या कोई परिवार का सदस्य खेती करता है. जांच में गलत पाए जाने और खेत बटाई पर दिए जाने पर आपसे आयकर वसूला जाएगा.
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आयकर की धारा 10 (1) के तहत खेती करने वालों को छूट दी जाती है. यदि किसी को खेती से लाखों व करोड़ों रुपये की आमदनी होती है तो उसे आयकर नहीं देना होता है. लेकिन उसमे एक शर्त है कि जिसके नाम से जमीन है, वह व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्य खेती करते हों. यदि किसान ने अपने खेत को बटाई या किराये पर दे रखा है तो उसे कुल उत्पादित फसल की कीमत का दस फीसदी आयकर भरना होगा. हालांकि, सरकार ने छोटे किसानों को राहत दी है. यदि छोटे किसानों की बटाई, किराया व अन्य स्त्रोत से सलाना आय ढाई लाख रुपये से कम है तो उसे आयकर नहीं देना पड़ेगा.
आयकर अधिनियम 269 (एसएस) के अनुसार किसी भी प्रकार की सम्पति अथवा जमीन जिसकी क़ीमत 20 हजार रूपये से ज्यादा हो उसे नकद नहीं बेचा जा सकता है. अगर आप को आयकर में छूट लेनी है तो ऑनलाइन अथवा चेक माध्यम से भी इसका भुगतान कर सकते हैं. इसके विपरीत यदि आप नकद भुगतान करते हैं तो आपको ज्यादा आयकर भरना होगा. उदाहरण के लिए एक लाख रुपये में नकद जमीन बेचने पर उतना ही जुर्माना लिया जाएगा.
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जिसके नाम से जमीन है वह खुद या परिवार के सदस्य द्वारा खेती कराता है तो उसे बिलकुल टैक्स नहीं देना पड़ेगा. चाहे कृषि उत्पादन से करोड़ों रुपये की आय होती हो. दूसरे से खेती कराने, बटाई पर खेती देने या खेत को किराया देने पर आयकर से छूट नहीं मिलेगी. यदि जमीन का मालिक खेती नहीं करता तो आयकर विभाग आयकर की वसूली करेगा.
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