Farmers Suicide NCRB Report: वर्ष 2022 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार खेती-किसानी से जुड़े लोगों की आत्महत्या से होने वाली मौतों में निरंतर वृद्धि हो रही है. चार दिसंबर को जारी नवीनतम अपडेट के अनुसार राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल देश भर से करीब 11,290 मामलों में ऐसे मौत के मामले दर्ज हुए हैं. 2021 से किसानों की आत्महत्या के मामलों में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस अवधि में 10,281 मौतें रिकॉर्ड की गई थीं. वहीं, अगर 2020 से तुलना की जाए तो ये वृद्धि 5.7 प्रतिशत की है.
आत्महत्या के मामलों में हुई वृद्धि
2022 के आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में हर घंटे कम से कम एक किसान से आत्महत्या की है. किसानों की आत्महत्या के मामलों में ये वृद्धि 2019 से दर्ज की जा रही है, जब NCRB आंकड़ों में 10,281 मौतें दर्ज की गईं थी. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में भारत में कृषि के लिए स्थिति अच्छी नहीं रही है. जिस वर्ष (2022) के लिए NCRB ने ये डेटा जारी किया है, उस दौरान देश के कई क्षेत्रों में सूखे और बेमौसमी बारिश के चलते किसानों को काफी नुकसान हुआ था. फसलें बर्बाद हो गई थी और चारे की कीमतें भी बढ़ गई थी.
खुदकुशी करने वालों में सबसे अधिक खेतिहर मजदूर
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में खेती से जुड़े कुल 11,290 लोगों ने आत्महत्या की थी. जिसमें से 53 प्रतिशत (6,083) खेतिहर मजदूर थे. गत कुछ वर्षों में एक औसत कृषि परिवार की अपनी आय के लिए फसल उत्पादन के बजाय खेती से मिलने वाली मजदूरी पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. साल 2022 में 5,207 किसानों में से 4,999 पुरुष और 2008 महिला किसानों ने आत्महत्या की थी.
इन प्रदेशों में नहीं हुई आत्महत्याएं
रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या करने वाले 6,083 कृषि श्रमिकों में 5,472 पुरुष और 611 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, महाराष्ट्र में 4,248, कर्नाटक में 2,392, आंध्र में 917 कृषि आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं. रिपोर्ट की मानें तो वेस्ट बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, चंडीगढ़, लक्षद्वीप व पुदुचेरी में कृषि क्षेत्र से संबंधित कोई आत्महत्या दर्ज नहीं की गई है.
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