मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए फायदेमंद साबित हुई है. जून 2017 में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद यह खबर कुछ राहत देने वाली है. इस फसल बीमा योजना के लागू होने के बाद से अब तक मध्य प्रदेश में पांच हजार करोड़ से अधिक का प्रीमियम किसानों को दिया जा चुका है. इस योजना ने मंदसौर और फसलों की कम कीमतों से किसानों के बीच पनपे असंतोष को दूर किया है.
राज्य के सोयाबीन और दाल उत्पादक क्षेत्रों के किसानों में सरकार की नीतियों के खिलाफ खासा असंतोष था. पिछले साल अधिकतर फसलों की कीमतें कम होने के विरोध में किसानों का गुस्सा मंदसौर में देखने को मिला जहां अपनी मांगों को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया था. पुलिस ने प्रदर्शन रोकने के लिए गोलीबारी की जिसमें कई किसानों की जानें भी गई थीं.
हालत को देखते हुए केन्द्र और सूबे की सरकार ने किसानों को खुश करने के लिए फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का सहारा लिया. दिलचस्प बात यह है कि मंदसौर आंदोलन के बाद 2017 खरीफ सीजन के लिए केंद्र की प्रमुख फसल बीमा योजना के तहत पूरे देश में किसानों को भुगतान किये गए कुल दावों की कीमत 15,181 करोड़ थी. जिनमें से एक तिहाई 5,081.86 करोड़ रूपये का भुगतान अकेले मध्य प्रदेश में किया गया था. प्रति किसान 31,036 रुपये के औसत भुगतान के हिसाब से कुल 16.37 लाख किसानों को इस योजना से लाभ पहुंचा है.
गौरतलब है कि साल 2016 के रबी सीजन में देश भर में पीएमएफबीवाई के तहत कुल 10,424.80 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया था. जिसमें एमपी के लिए महज 1,839.45 करोड़ रुपये जारी किये गए थे. जो राष्ट्रीय औसत का केवल 17.6 फीसदी था. इससे राज्य में केवल 11.05 लाख किसानों को फायदा हुआ था. जिनमें से प्रत्येक को औसतन 16,642 रुपये मिले.
पीएमएफबीवाई के अलावा राज्य सरकार एक नई योजना भी लागू करने जा रही है, भावांतर भुगतान योजना (बीबीवाई) नाम की इस स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकार किसानों को आधिकारिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बेची गई फसल की मात्रा के लिए औसत बाजार की कीमतों में अंतर का भुगतान करेगी. फ़िलहाल राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र आचार सहिंता लागू है इसलिए इस योजना को लागू करने के लिए सूबे की सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है.
रोहिताश चौधरी, कृषि जागरण
Share your comments