आजकल के समय में खेतीबाड़ी एक ऐसा व्यवसाय बना गया है, जिसमें किसान निवेश से ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर रहा है, क्योंकि आजकल की बढ़ती महंगाई के बीच लोगों के लिए जीवन यापन करने के लिए आर्थिक स्थिति को मजबूत करना अहम हो गया है. वहीं, ज्यादातर सभी राज्य के किसान खेती की और अपनी रूचि रख रहे हैं.
किसान आमदनी को बढ़ाने के लिए खेती में नई – नई तकनीकों (New Technologies In Farming) का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश क्षेत्र के खंडवा के मांधाता क्षेत्र का है. जहां पर मोती की खेती पर काफी जोर दिया जा रहा है. जी हाँ, मांधाता में मोती की खेती (Pearl Farming In Mandhata ) की आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त आबकारी अधिकारी सुरेंद्रपालसिंह सोलंकी ने शुरुआत की. जिससे वो अधिक मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं. चलिए जानते हैं कि इस मोती की खेती (Pearl Farming) से किस प्रकार मुनाफा कमाया जा सकता है.
इसके लिए पहले दो हजार उत्पादक मोती से 5000 मोतियों की संख्या की जाएगी. ऐसे ही धीरे – धीरे इस प्रकार 500 के बाद 1000 मोती उगाये जायेंगे. इस तरह मोती उत्पादक उद्योग में बढ़ोत्तरी हो जाएगी.
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एक मोती की कीमत 10 से 25 रुपये (The Cost Of A Pearl Is 10 To 25 Rupees)
मोती की खेती में खर्च की बात करें, तो तालाब को तैयार करने के लिए स्ट्रक्चर सेटअप में 10 से 12 हजार रूपए खर्च होते हैं. तालाब में तैयार किए गए प्रत्येक मोती की बाजार में कीमत 10 से 25 होती है.
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