मौसम की मार ना सिर्फ आम जनता पर पड़ती है बल्कि इसका असर किसानों की फसलों पर भी पड़ता है. ऐसे में किसान भाईयों को मौजूदा मौसम को देखते हुए कृषि कार्य कर लेना चाहिए.
इसी के मद्देनजर मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के द्वारा बिहार के किसानों के लिए एग्रोमेट एडवाइजरी जारी की गई हैं. इस एडवाइजरी की मदद से राज्य के किसान मौजूदा मौसम की मार से अपनी फसलों को बचा सकते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं बिहार में धान, गेहूं, सरसों और मसूर की खेती करने वाले किसानों को मौजूदा मौसम में क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
धान की कटाई
शुष्क मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि इस सप्ताह में धान की परिपक्व फसल की कटाई कर लेनी चाहिए. कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में ही सुखा देना चाहिए और उसके बाद मड़ाई करनी चाहिए. भण्डारण से पहले दानों को सुखा लेना चाहिए ताकि नमी का स्तर 12% से कम हो जाए.
गेहूं की बुवाई
किसानों को अधिक उपज प्राप्त करने के लिए इस सप्ताह तक गेहूं की बुवाई पूरी करने की सलाह दी जाती है. गेहूं की उन्नत किस्में जैसे एचडी 2967, एचडी 2733, एचडी 2824, डीबीडब्ल्यू187, सबौर निर्जल और सबौर समृद्धि. बीज दर-100 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर. बोने से पहले बीज को बाविस्टिन या थीरम 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज से उपचारित करना चाहिए. N: P: K के लिए उर्वरक की अनुशंसित मात्रा 120: 60: 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है.
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मसूर की बुवाई
इस समय किसानों को मसूर की बुआई करने की सलाह दी है. मल्लिका (K75), अरुण (PL77-12), KLS-218, HUL57, PL-5 किस्मों को इस क्षेत्र में बोने की सिफारिश की जाती है. छोटे दानों के लिए बीज दर 30-35 किग्रा/हेक्टेयर और बड़े दानों के लिए 40-45 किग्रा/हेक्टेयर और लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी की सलाह दी जाती है. बुवाई से पहले 20 किग्रा नत्रजन, 45 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा पोटाश और 20 किग्रा गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने की सलाह दी जाती है. बीज को राइजोबियम कल्चर (5 पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित करना चाहिए.
सरसों की खेती को लेकर सलाह
थिनिंग बुवाई के 10-15 दिन बाद करनी चाहिए. यदि खेत में हेरी कैटरपिलर और आरा मक्खी दिखाई दें तो 5% मैलाथियान डस्ट 20-25 किग्रा/हेक्टेयर या क्विनालफॉस 25% ई.सी. 1.25 लीटर/हे 600-700 लीटर पानी का प्रयोग करें.
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