मध्यप्रदेश में कोरोना नियंत्रण के लिए लंबी अवधि और अल्प अवधि की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है. लॉकडाउन में प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को कैसे रफ्तार दे इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. इस दौरान सावधानी भी बरतनी है और मजदूरों को रोजगार भी मिले. इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. लॉकडाउन के दौर में भी प्रदेश में मनरेगा कार्यों से 6 लाख से अधिक मजदूरों को काम मिला है और उनके लिए पौषण आहार की भी व्यवस्था की गई है. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया के लोगों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की और कहा कि मीडिया से प्राप्त सुझाव महत्वपूर्ण हैं, जो कोरोना नियंत्रण में सहायक साबित होंगे. उन्होंने कहा कि जहां देश महामारी के संकट से जूझ रहा है ऐसे में सबका साथ मिलना बहुत जरूरी है. आम जनता को हो रही परेशानी को खत्म करने में मीडिया से मिले सुझाव हमेशा उपयोगी साबित हुए हैं.
शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण काफी हद तक पा लिया है और इसे जड़ से खत्म के प्रयास निरंतर जारी हैं. प्रदेश में रिकवरी रेट बढ़ रहा है, जो बढ़कर 48 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि कोरोना से बचाव के लिए एग्रेसिव सेम्पलिंग शुरू की गई है और कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन एक मात्र तरीका है. सीए के मुताबिक, प्रदेश में उपचार के बेहतर प्रबंध किए गए हैं. जल्द ही राज्य के अस्पतालों में एक लाख बेड तैयार हो जाएंगे. अभी तक कोरोना से बचाव के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनी है, इसलिए कोरोना के साथ जीना सीखना होगा.
प्रदेश में हादसों में कई मजदूरों ने अपनी जान गंवाई हैं. ऐसे में लौट रहे प्रवासी मजदूरों तक हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. दूसरे प्रदेशों के मजदूरों के लिए भी मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखा गया है. अब हमारे यहां रिकवरी रेट ज्यादा है. इलाज समय पर होगा तो मरीज ठीक हो जाएगा.
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