Stubble Management: खरीफ सीजन के खत्म होते ही पर्यावरण पर इसका बुरा असर दिखने को मिलता है. क्योंकि अधिकतर किसान रबी सीजन के लिए खेत की तैयारी में अक्सर पराली को जला देते हैं. जिसके बाद पराली से निकलने वाला धुंआ पर्यावरण के साथ आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है. इस समस्या से निपटान के लिए सरकार समय-समय पर कई कड़े कदम उठाती तो है, मगर उसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिलता है.
इसी कड़ी में पराली की समस्या के निपटान के लिए हरियाणा सरकार की खूब सराहना की जा रही है. राज्य में पिछले साल की तुलना में पराली जलाने के मामलों में 25 फीसदी की कमी आई है. बात करें पानीपत की, तो वहां पर पराली जलाने के सबसे कम मामले दर्ज किए गए. यहां के किसानों ने पराली को 8 से 10 हजार रुपए में बेचा है. सूखे चारे के लिए पराली की डिमांड बढ़ती ही जा रही है. जिसे देखते हुए राज्य में पराली कारोबार के लिए प्लांट लगाए जा रहे हैं. जहां पर किसान अपनी पराली का सही मूल्य प्राप्त कर रहे हैं.
आम के आम गुठलियों के दाम
भारत में पराली को जलाने से रोकने के लिए लगातार कई कदम उठाए जा रहे हैं. बता दें कि खरीफ सीजन में इस बार मौसम ने भी साथ नहीं दिया. कम बारिश के कारण धान की पैदावार भी कम हुई. जिससे पराली के दामों में पांच गुना तक उछाल देखा गया.
जिससे धान के किसानों के लिए दोहरे लाभ पाने के द्वार खुल गए हैं. बता दें कि जो पराली पिछले साल तक 2 से 2.5 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से बेची जा रही थी, वही अब 8 हजार रुपए से 11 हजार रुपए बिक रही है. हरियाणा में करनाल, जींद व कैथल में पराली की मंडियां लगाई जा रही हैं. जहां पर हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से किसान ट्रॉलियों के साथ पहुंच रहे हैं.
पशु चारे के लिए काम आएगी पराली
कुछ जानकारों की मानें तो इस साल धान की फसल के उत्पादन में कमी की आशंका है, जिसका मुख्य कारण समय पर बारिश नहीं होना बताया जा रहा है. जिससे पशु चारे में कमी आ सकती है.
इसी के मद्देनजर पराली के कारोबार के लिए हरियाणा के कैथल में 20 से अधिक प्लांट लगाए गए हैं. इसके अलावा बाहरी जिलों के प्लांट से पराली का भंडारण भी किया जा रहा है. जिससे ग्रामीणों व किसानों को रोजगार भी मिल रहा है. पराली के भंडारण से सर्दियों में पशु चारे की कमी को दूर किया जाएगा, साथ ही पड़ोसी राज्य राजस्थान व गुजरात में भी चारे की आपूर्ति की जाएगी.
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