आमतौर पर किसान सफेद, भूरे और लाल रंग के चावल की खेती करते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के किसान अब हरे चावल की जैविक तरीके से खेती (Organic Farming Of Green Rice) कर उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं.
इस तरह खेती कर किसान लाखों रूपए अर्जित कर रहे हैं. वहीं, राज्य के बालोद जिले के किसानों ने जैविक तरीके से हरे चावल की खेती कर एक नयी पहल भी की है.
आपको बता दें कि इससे पहले भी धमतरी और दुर्गे जिले में हरे चावल की खेती हो चुकी है, जिसमें अब बालोद हरे चावल की जैविक तरीके से खेती कर राज्य में तीसरा स्थान (Third Place) प्राप्त कर चुका है. इस चावल की सुगंध इतनी अच्छी है कि इसकी मांग विदेशों में बढ़ रही है. इसके साथ ही रायपुर जिले की कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने हाल ही में हरे चावल की खेती (Green Rice Farming) का निरीक्षण किया है, जिसमें वैज्ञानिकों ने हरे चावल में अच्छे गुणवत्ता वाले चावल पाए हैं.
वहीं, रायपुर जिले के किसानों का कहना है कि वह अपने हरे चावल को रायपुर और विलासपुर के कृषि कंपनियों को बेच देती है. जहां कंपनी इसे अपने खुद का कृषक प्रोडक्शन लिमिटेड का टैग लगाकर अन्य देशों में निर्यात करती है.
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हरे चावल की खासियत (Green Rice Specialty)
यदि हम हरे चावल की खासियत के बारे में बात करें, तो इसमें कई प्रकार के मिनरल्स, प्रोटीन और कई पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इस वजह से इसका उपयोग बाहर के अन्य देशों में दवा के रूप में किया जाता है.
हरे चावल की खेती से किसान कमा रहे है लाखों (Farmers Are Earning Lakhs From Green Rice Cultivation)
आपको बता दें कि हरे चावल की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी मांग अन्य देशों में काफी बढ़ रही है. इसके चलते किसानों में इसकी खेती का रुझान बढ़ रहा है. यदि इसकी कीमत की बात करें, तो बाज़ार में इसकी बिक्री 7 – 8 हजार प्रति क्विंटल के हिसाब से होती है.
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