1. Home
  2. ख़बरें

बिहार में किसान सलाहकार समिति का गठन वर्षों से अधर में, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Farmers Advisory Committee: किसानों की समस्याओं का निवारण और उनके हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से किसान सलाहकार समिति का गठन वर्षों से लंबित है. वर्षों बाद समिति के गठन की पहल दिसंबर 2019 में बमेटी पटना से जारी एक आदेश के तहत इस समिति का गठन जनवरी 2020 तक कर लिया जाना था, लेकिन यह समय सीमा पार करके सितंबर 2020 में इस समिति का गठन आत्मा बिहार के विभिन्न जिलों में किया गया.

KJ Staff

बिहार: जिलों में किसानों की समस्याओं का निवारण और उनके हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से किसान सलाहकार समिति का गठन वर्षों से लंबित है. वर्षों बाद समिति के गठन की पहल दिसंबर 2019 में बमेटी (बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान) पटना से जारी एक आदेश के तहत इस समिति का गठन जनवरी 2020 तक कर लिया जाना था, लेकिन यह समय सीमा पार करके सितंबर 2020 में इस समिति का गठन आत्मा (कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण) बिहार के विभिन्न जिलों में किया गया. परंतु कमेटी का गठन तो हुआ, लेकिन इसके सदस्यों के प्रशिक्षण और उनके कार्यों के संबंध में विभाग द्वारा सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.

केवल हल्की-फुल्की कुछ जानकारी दी गई, जिससे सदस्यों को अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों का स्पष्ट ज्ञान नहीं हो सका. इसके तहत जिले के प्रत्येक प्रखंड में समिति बनाकर किसानों को कृषि संबंधी सलाह और मार्गदर्शन देने की योजना थी. यह समिति किसानों को नई कृषि तकनीक, बाजार जानकारी, और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में मददगार साबित हो सकती थी.

प्रारंभिक प्रयास और देरी का कारण

सितंबर 2020 में प्रखंडों में समिति का गठन के बाद और उसकी कार्यप्रणाली को संतोषजनक पाकर 2021 में एक वर्ष का विस्तार भी दिया गया. लेकिन इस दौरान किसी ठोस योजना या नियमित गतिविधियों के बिना समितियां निष्क्रिय होती चली गईं. 2022 में इस मुद्दे पर कोई खास पहल नहीं हुई, जिससे किसानों की समस्याएं भी अनदेखी होती गईं. किसान चाहते थे कि यह समिति अधिक सक्रियता के साथ काम करे और उनकी कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान निकाले, लेकिन समिति का स्थायी गठन नहीं हो पाया.

स्वामीनाथन संघर्ष समिति की पहल

फरवरी 2023 में अखिल भारतीय स्वामीनाथन संघर्ष समिति के प्रभारी रौशन कुमार ने इस मुद्दे पर कृषि विभाग बिहार सरकार पटना, बमेटी पटना और विभिन्न जिलों को पत्र लिखा. इस पत्र में उन्होंने समिति के गठन की प्रक्रिया को दोबारा सक्रिय करने की अपील की. इसके बाद विभाग में कुछ हलचल दिखाई दी और किसानों से आवेदन लिए गए. यह किसानों के लिए एक आशा की किरण थी, लेकिन कुछ समय बाद अचानक से यह प्रक्रिया स्थगित कर दी गई, जिससे किसानों में गहरी निराशा और असंतोष पनपने लगा. तो उधर 1 वर्ष का कार्य अवधि को 3 या 5 वर्ष का विस्तारित करने की मांग भी की गई थी.

किसान नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

इस मामले पर किसान महासभा के नेता जितेंद्र यादव ने अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया. उनका कहना था कि अधिकारियों ने समिति गठन के कार्य को गंभीरता से नहीं लिया और अवसरवादिता के कारण इसका कार्य अधूरा रह गया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभाया होता, तो आज समिति किसानों की सहायता कर रही होती.

वहीं दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के नेता संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की. उनका कहना था कि इस समिति के माध्यम से किसानों को कृषि में तकनीकी सुधार व प्रशिक्षण और बाजार की जानकारी उपलब्ध कराई जा सकती थी. संजय सिंह का मानना है कि यह समिति किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन सकती थी, जिससे किसानों को अपनी उपज की उचित कीमत और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकता था.

बामिती की भूमिका पर सवाल

आत्मा का मुख्य उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों से जोड़ना और कृषि में नवीनतम बदलावों को लागू करना है. लेकिन किसान सलाहकार समिति के गठन में देरी के चलते आत्मा की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. आत्मा के तहत जिले में कृषि क्षेत्र में सुधार की योजनाओं को लागू करना था, लेकिन समिति का गठन न हो पाने के कारण यह उद्देश्य अधूरा रह गया है.

किसान सलाहकार समिति की संभावनाएँ

किसान सलाहकार समिति के गठन से जिले में किसानों को विभिन्न स्तर पर लाभ मिल सकता था. यह समिति किसानों को कृषि उत्पादकता बढ़ाने, नवीनतम तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने, फसल बीमा और सरकारी सहायता योजनाओं का लाभ दिलाने में सहायक हो सकती थी. साथ ही, यह स्थानीय स्तर पर कृषि बाजार में सुधार, किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य दिलाने, और नई फसल पैटर्न को अपनाने में भी मार्गदर्शन देती. समिति का मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं को समझकर स्थानीय स्तर पर समाधान प्रस्तुत करना था, ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके.

किसानों की मांग और सरकार से उम्मीदें

वर्तमान स्थिति में, किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द किसान सलाहकार समिति का गठन कर इसे सक्रिय करे. किसान चाहते हैं कि समिति का काम पारदर्शिता और नियमितता के साथ हो, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान मिल सके और कृषि क्षेत्र में सुधार संभव हो. किसान संगठनों ने चेतावनी देते हुए अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल व किसानों के साथ अन्याय करार दिया है. सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर किसान सलाहकार समिति का गठन करे और इसे एक सक्रिय और प्रभावी भूमिका में लाए, जिससे जिले के किसानों का जीवनस्तर सुधर सके और वे कृषि के प्रति उत्साहित हो सकें. अन्यथा आंदोलन करने पर मजबूर हो सकते हैं. किसानों का कहना है कि वे सरकार से ठोस कदम उठाने की अपेक्षा रखते हैं, ताकि भविष्य में उनकी समस्याएं सुनी जा सकें और कृषि क्षेत्र में विकास हो सके.

15 दिन में कार्रवाई का आश्वासन

रौशन कुमार बताते है कि शिकायत के बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विस्तार निदेशालय ने आश्वासन दिया है कि किसानों की समस्याओं को शीघ्र समाधान देना है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी शिकायतों की समीक्षा कर, जरूरी कदम 15 दिनों के भीतर उठाए जाएं. किसान समुदाय में इस आश्वासन से उम्मीद की किरण जागी है, क्योंकि लंबे समय से लंबित मुद्दों पर अब कार्रवाई होने की संभावना है, समाधान मिलेगा.

इससे पहले, 25 अक्टूबर 2024 से 10 जनवरी 2025 तक की अवधि में कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर पुनः इस विषय पर विस्तार निदेशालय और विस्तार सुधार इकाई (आत्मा) को शिकायत दी थी.

बिहार सरकार के मंत्रालय ने कृषोन्नति योजना के तहत सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन (आत्मा योजना) के अंतर्गत प्रखंड, जिला एवं राज्य स्तर पर किसान सलाहकार समिति के गठन एवं दायित्वों से संबंधित अनुदेश को स्वीकृति दे 4 फरवरी को दी है.

रौशन कुमार ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, "यह स्वीकृति किसानों के लिए अमृत साबित होगी. यह सिर्फ मेरी लड़ाई नहीं थी, बल्कि हम सभी किसानों के एकजुट संघर्ष का परिणाम है. अब देखना होगा कि इसे कब तक जमीन पर प्रभावी रूप से लागू किया जाता है."

किसान सलाहकार समिति के गठन से कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार आएगा और किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सरकारी सहायता सीधे मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा.

रिपोर्ट - रौशन कुमार,
एफटीजे, कृषि जागरण, बिहार

English Summary: Farmers Advisory Committee has not been formed in Bihar for many years Published on: 12 March 2025, 06:30 PM IST

Like this article?

Hey! I am KJ Staff. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News