उत्तरप्रदेश : पिछले कुछ समय से रासायनिक पद्धतियों के द्वारा पर्यावरण काफी हद तक प्रभावित हुआ है जिसके लिए जैविक खेती के प्रचलन के लिए योजनाएं बननी शुरु हो गईं हैं। जैविक खेती को प्रदेश में प्रसार के लिए सरकार नई योजनाओँ के साथ कार्य करने की योजना बनाने के बारे में सोच रही है। जैविक खेती के तरीके व पद्धति के बारे में जानना आवश्यक है। पौध संरक्षण व पर्यावरण को संतुलित करते हुए अधिक उत्पादन करना जैविक खेती पद्धति को अपनाने का प्रमुख उद्देश्य है। इस प्रक्रिया में रसायनों का उपयोग कम करते हुए आवश्यकतानुसार करना चाहिए। जिससे पर्यावरण शुद्ध रहेगा। उत्तर प्रदेश बेशक राष्ट्रीय खाद्दान्न उत्पादन में 21 प्रतिशत का योगदान करता है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जैविक खेती का प्रचार प्रसार करना काफी आवश्यक है। साथ ही किसानों को सतत विकास व पर्यावरण अनुकूल परिस्थितियों को अपनाने के लिए प्रेरित करने का उद्देश्य रखा गया है। इसके अन्तर्गत कम उत्पादन वाले क्षेत्र व असिंचित क्षेत्र में किसानों को स्थायित्व वाली खेती को विकसित करना,किसानों को उत्पाद को विक्रय केंद्र तक पहुंचाने के लिए सुझाव देना आदि लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में जैविक खेती को विकास हेतु चुनाव किया गया है। हमीरपुर जिले को कम उर्वरक का उपयोग,वर्षा आधारित खेती व कम उत्पादन के लिए जैविक खेती को चयनित किया गया।
आप को बता दें कि हमीरपुर जिले में सात विकास खण्डों के अन्तर्गत 7000 एकड़ कृषि भूमि को जैविक खेती के लिए चुना गया है। इस बीच हमीरपुर को जैविक खेती के माडल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया। जिले के सात तहसीलों व विकास खंडो का कुल 339 ग्राम पंचायतों के साथ 7000 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की योजनाएं प्रसारित की जाएंगी। यह परियोजना 3 वर्षों के लिए प्रस्तावित हुई है। इसमें पहले व दूसरे वर्ष में कन्वर्जन अवधि तथा तीसरा जैविक उत्पादन की अवधि रखी गई है। जैविक खेती के लिए 50-50 एकड़ के क्लस्टर बनाए जाएंगें। यही नहीं खेती के लिए शैक्षिक भ्रमण व कस्टम हायरिंग सेंटर आदि स्थापित करने का काम किया जाएगा।
किसानों को बहुफसली से फसलचक्र अपनाने की तकनीक से अवगत कराया जाएगा। ज्ञात हो कि मिश्रित खेती ही जैविक खेती का आधार है। इसके तहत विभिन्न प्रकार की फसलें मृदा की अलग-अलग गहराई से पोषक तत्वों को ग्रहण करती हैं। अधिक गहराई की जड़ें वाले पौधे पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं साथ ही पत्तों के गिरने से पुन: पोषक तत्वों को मृदा की गहराई तक पहुंचा देते हैं। किसान मौसम के अनुसार मिश्रित फसलों का चुनाव कर सकते हैं।
जैविक खेती के अन्तर्गत फसल चक्र को अपनाना काफी आवश्यक है। मृदा की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए समृद्ध बनाए रखने के लिए फसल चक्र जरूरी है।
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