गर्मी ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है. मार्च और अप्रैल के महीने में गर्मी अपने प्रचण रूप पर पहुंच चुकी है. इसका असर सीधा देश के किसानों पर देखने को मिल रहा है.
आपको बता दें कि तापमान अधिक बढ़ने के कारण देश में समय से पहले गेहूं और सरसों की फसल पक गई है. जिसके कारण किसानों को गेहूं का दाना (wheat grain) सिकुड़ने और उत्पादन गिरने का लगातार डर अब उन्हें सता रहा है.
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, सामान्य तापमान में गेहूं का दाना अच्छे से फल-फूलता है और बाजार में भी इसके अच्छे दाम प्राप्त होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ने लगता है, तो गेहूं अच्छी तरह से नहीं पक पाता है. ऐसे में गेहूं का स्वाद खत्म हो जाता और साथ ही गेहूं का दाना सख्त (wheat grain hard) भी हो जाता है.
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समय से पहले गेहूं की कटाई (premature harvesting of wheat)
मिली जानकारी के मुताबिक, बता दें कि रोहतक के किसानों ने समय से पहले गर्मी अधिक बढ़ने के कारण गेहूं के दाने पकने से पहले ही उन्होंने अपनी फसल की कटाई करना शुरू कर दिया था. इस विषय में किसान भाइयों का कहना है कि इस बार देश के किसानों पर मौसम की दोहरी मार को झेलना पड़ रहा है.
पहले दिसम्बर और जनवरी में बारिश के कारण फसल को बेहद नुकसान पहुंचा और फिर अब तापमान अधिक बढ़ने के कारण किसानों को अपनी फसल पकने से पहले ही काटना पड़ रहा है. किसानों का यह भी कहना है कि हमें चौतरफा मार का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ मौसम की मार तो वहीं दूसरी तरफ देश में डीजल, खाद, बीज, मजदूरी सब कुछ महंगा होता जा रहा है. जिससे किसानों को खेती करने में बहुत-सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
किसानों का रुख प्राइवेट डीलर्स की तरफ बढ़ा
देखा जाए, तो इस बार समय से पहले फसल पकने के कारण उत्पादन पर भी भारी असर पड़ा है. जहां पहले किसानों को 40 से 50 मन यानी 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ गेहूं प्राप्त होता था. वहीं अब उन्हें लगभग 10 मन गेहूं ही मिलेगा. ऐसे में ज्यादातर किसानों का रुख प्राइवेट डीलर्स की तरफ बढ़ता जा रहा है.
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