अमेरिका में मौजूद शिकागो यूनिवर्सिटी ( The University of Chicago) ने एयर क्वालिटी इंडेक्स- 2022 रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में प्रदूषण और इससे लोगों की घटती उम्र का ज़िक्र है. इस रिपोर्ट में भारत को दुनिया के सबसे ज़्यादा प्रदूषित देशों में से एक (World’s Most Polluted Countries) बताया गया है.
दिल्ली-एनसीआर में जीना मुहाल-
द यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो की इस रिपोर्ट में देश की राजधानी दिल्ली और इससे सटे एनसीआर (Delhi-NCR) की हालत बद से बदतर है. रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर भयावह है. यहां रह रहे लोगों की उम्र घट रही है वो भी 1 या दो नहीं बल्कि क़रीब 10 साल. मान लीजिए कि सामान्य हालातों में अगर आपको 75 साल की ज़िंदगी पूरी करनी है तो दिल्ली-एनसीआर में ये घट कर 65 साल हो जाएगी. इन इलाक़ों में उम्र में 10 साल तक की कमी हो रही है जिसकी वजह सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रदूषण (Pollution) है.
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देश का हाल-
रिपोर्ट कहती है कि देश में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां हवा की गुणवत्ता बेहतर हो. देशभर में ऐसी कोई जगह है ही नहीं जहां कि एयर क्वालिटी WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरे. डब्ल्यूएचओ के मानक की बात करें तो पीएम 2.5 का लेवल 5 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए. भारत में 63 फ़ीसदी आबादी ऐसी जगहों पर रहती है जो इंडिया के ख़ुद के बनाए मानक 40 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर से ज़्यादा का प्रदूषण झेलने को मजबूर है. यानि स्थिति भयावह है. ये 63 प्रतिशत आबादी गंभीर ख़तरे में है.
यूपी-बिहार में हालात हैं ख़राब, ये राज्य भी परेशान-
आबादी के लिहाज़ से देखा जाए तो पहले नं. पर दिल्ली-एनसीआर है जहां पीएम 2.5 का स्तर प्रति व्यक्ति 197.6 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर, दूसरे नं. पर यूपी है जहां पीएम 2.5 का लेवल क़रीब 88.3 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति है. लिस्ट में तीसरा नं. बिहार का है जहां प्रति व्यक्ति पीएम 2.5 का स्तर क़रीब 86 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर है. हरियाणा में 80.8 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर, पश्चिम बंगाल में 66.4 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर और पंजाब में प्रदूषण का स्तर 65.7 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर है.
प्रदूषण से आयु में कमी-
प्रदूषण की वजह से पूरे भारत में लोगों की उम्र में औसतन 5 साल की कमी हो रही है. भारत के उत्तर में रह रहे लोगों की बात करें तो यहां के लोगों की उम्र 7 साल 6 महीनें घट रही है. दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी से 10 साल तक कम हो रहे हैं.
आतंकवाद और दंगों से कई गुना ज़्यादा लोग प्रदूषण से मर रहे-
रिपोर्ट से एक बात सामने आई है कि दंगों और आतंकवाद (Terrorism and Riots) से जितने लोग मरते हैं उससे 89 फ़ीसदी ज़्यादा लोग वायु प्रदूषण (Air Pollution) से मरते हैं. साल 2013 के बाद विश्वभर में हुए प्रदूषण में अकेले इंडिया का 44 प्रतिशत योगदान है.
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