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Budget 2020: रेंग रही है ग्रामीण अर्थव्यवस्था, नई घोषणाओं से पहले पुरानी समस्याओं का समाधान ज़रूरी

गिरते हुए जीडीपी ने सरकार के समक्ष कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. हालांकि आने वाले आम बजट से लोगों को कई तरह की उम्मीदें भी हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण से ग्रामीण भारत को क्या मिलेगा, ये एक बड़ा प्रश्न है. हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना यही है कि आने वाले बजट से गांवों को विकास की नई संभावनाएं मिलेंगी. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बजट प्रक्रिया में नरेंद्र तनेजा प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

सिप्पू कुमार

गिरते हुए जीडीपी ने सरकार के समक्ष कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. हालांकि आने वाले आम बजट से लोगों को कई तरह की उम्मीदें भी हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण से ग्रामीण भारत को क्या मिलेगा, ये एक बड़ा प्रश्न है. हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना यही है कि आने वाले बजट से गांवों को विकास की नई संभावनाएं मिलेंगी. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बजट प्रक्रिया में नरेंद्र तनेजा प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

ध्यान रहे कि तनेजा भाजपा के प्रवक्ता होने के साथ-साथ ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल के प्रमुख भी हैं. उनके मुताबिक शहरी विकास की कल्पना तब तक सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास ना हो. नि:संदेह आने वाले दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं लेकिन किसी भी निषकर्ष से पहले हमें मौजूदा हालातों पर गौर करना चाहिए.

किराना दुकानों पर पसरा सन्नाटा
नवंबर से ही किराना सामग्रियों की कीमतों में आग लगी हुई है. रिफाइंड तेल जहां 20 रुपये तक महंगा हो गया है, तो वहीं सरसों में 30 रुपये की वृद्धि देखी जा सकती है. दाल के साथ खुला आटा भी 30 से 40 रुपये तक महंगा हो गया है. कारोबारियों को भी आने वाले समय में किसी तरह की राहत की उम्मीद नज़र आती नहीं दिख रही है.

थाली से दूर हैं सब्ज़ियां
सब्ज़ियों को लेकर सरकार किस तरह विपक्ष के निशाने पर है, यह बात किसी से छुपी नहीं है. हालांकि बढ़ते हुए सब्ज़ियों के दामों से मुनाफ़ा जमाखोरों और बड़े व्यापारियों को ही हुआ है. किसानों के हाथ अभी भी खाली हैं. प्याज की बढ़ती कीमतों के साथ कई सब्ज़ियों ने भी कीमत के मामले में सेंचुरी लगा दी.

किसानों की शून्य आय
सरकार किसानों की आय डबल करने का ढोल पीट सकती है लेकिन कई रिपोर्ट्स और शोध यही बताते हैं कि कृषि क्षेत्र में सरकार की योजनाएं कुछ खास कारगर साबित नहीं हुई है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने भी माना है कि पिछले सालों में (2017-2018) किसानों की आय में वास्तव में शून्य बढ़ोतरी ही हुई है.

धरातल से दूर सरकारी योजनाए
नि:संदेह मोदी सरकार कई तरह की योजनाएं गांवों के लिए चला रही है लेकिन यह भी सत्य है कि धरातल की सच्चाई कुछ और ही है. इन योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है. कई मामलों में पता लगा है कि योजनाओं को संचालित करने का तरीका ही योजनाओं को सफल बनाने में सबसे बड़ी बाधा है.

English Summary: Budget 2020 urual India challenges expectations and opportunities and Union Budget special Published on: 30 January 2020, 04:14 PM IST

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