हम लोग बचपन से उन लोगों की जीवनी पढ़ते आ रहे हैं, जो अपने क्षेत्र में सफल है. उन लोगों के बारे में अक्सर स्कूल, कॉलेज में बाते होती है. लेकिन क्या आपने किसी किसान की जीवनी को पढ़ा है.
ज्यादातर हमें हिंदी साहित्य में भारतीय किसान की छवि गरीब, मजबूर की तरह ही देखने को मिलती है. इन सबके बीच अगर किसी कृषि वैज्ञानिक की उपलब्धियों के बारे में कही पढने को मिल जाए तब तो शायद सीना फक्र से चौड़ा हो जाये.
जी हाँ आज हम आपको एक किताब के बारे में अवगत करने जा रहे है, यह किताब छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक नारायण चावड़ा के एक साधारण किसान से आसाधारण किसान बनने के सफर की दास्तान है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की उर्वरा भूमि पर अपने रिसर्च के माध्यम से एक से बढ़कर एक उपलब्धियां प्राप्त की.
हाल ही में प्रकाशित हुई उनकी जीवनी “प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर डॉ. नारायण चावड़ा” के लेखक राजीव रंजन प्रसाद ने बड़े ही साधरण तरीके एवं सरल भाषा में उनके जीवन के अलग अलग पहलुओं का वर्णन किया है.
फल और सब्जियों की कई नयी प्रजातियाँ खोजने तथा कृषि को सरल बनाने में डॉ. चावड़ा की जीवनी यकीनन आपके लिए प्रेरनादायी साबित होगी. यह किताब निचोड़ है कृषि की विस्तृत श्रंखलाओं का, जिसे आने वाले पीढ़ी को पढना और समझना चाहिए.
इस पुस्तक में कहा गया है कि शिक्षा, प्रसार और नयी तकनीकियों को अब किसानों तक पहुँचाना बेहद आवश्यक हो गया है. एक साक्षर किसान खुद पर भरोसा करके कृषि को अपना सके इसलिए इस किताब में व्यावहारिक कृषि शिक्षा पद्दति की आवश्यकता को भी दर्शाया गया है.
विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं तथा किसानों के लिए लाभदायक साबित होने के साथ प्रेरणा का स्रोत बनेगी.
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