बिहार कृषि के लिए एक बेहतर राज्य माना जाता है, लेकिन यहाँ के किसानों की हालत भी किसी से छिपी नहीं है. सरकार बिहार के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए प्रयास कर रही है. किसान खेती से अच्छा लाभ ले सके इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों को मेंथा की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है. राज्य में मेंथा की व्यवसायिक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु किसानों को सहायता अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। मेंथा की खेती से किसानों को काफी लाभप्रद मिलेगा.
इसकी खेती में किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होता है. इसके पौधों से तेल निकाला जाता है. इसके पौधों में तेल की मात्रा लगभग एक प्रतिशत तक पायी जाती है. इस तेल में मेंथाल, मेंथोन और मिथाइल एसीटेट आदि अवयव पाये जाते हैं। लेकिन मेंथाल, इसके तेल का मुख्य घटक है। मेंथा के तेल में मेंथाल की मात्रा लगभग 75-80 प्रतिशत होती है। इसके तेल का उपयोग औषधीय निर्माण में किया जाता है । इसके अलावा तेल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों, टुथपेस्ट, शेविंग क्रीम लोशन, टॉफी, च्युंगम, कैन्डी, आदि बनाने में भी किया जाता है। इसकी मांग बाजार में बढ़ती जा रही है इसलिए किसानों को इससे अच्छी कमाई हो सकती हैं.
बिहार के कृषि मंत्री ने कहा कि अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों के पौध सामग्री प्रामाणिक संस्थानों से ही खरीदा जाना जरुरी है. उन्होंने कहा कि मेंथा की एम.ए.एस.-1, हाइब्रिड-77, कालका, गोमती, हिमालय, कोशी और शिवालिक कुशल आदि उन्नत किस्में विकसित की गयी हैं। मैदानी क्षेत्रों में इसकी बुआई 15 जनवरी से 15 फरवरी के मध्य करना चाहिए। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को उन्नत कृषि तकनीक अपनाने पर एक हेक्टेयर में लगभग 250-300 क्विंटल ताजा शाक तथा लगभग 200-250 लीटर तेल प्राप्त होता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत् मेंथा का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम में शामिल किया गया है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 900 हेक्टेयर (इकाई लागत 40,000 रूपये प्रति हेक्टेयर) लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मेंथा की खेती पर लागत मूल्य का 50 प्रतिशत यानी अधिकत्तम 20,000 रूपये प्रति हेक्टेयर सहायतानुदान देय है। इस अनुदान का लाभ उठाने के लिए किसान अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान के कार्यालय से सम्पर्क कर इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
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