किस तरह की फसल को करना आपके लिए फायदेमंद है, इसका निर्णय बहुत हद तक आपके खेत की भूमि कर देती है. सफल खेती के लिए मिट्टी की विविधता और गुणवत्ता को समझना जरूरी है. इसके साथ ही लंबे समय तक फसलों की बंपर पैदावार के साथ मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना और किसी तरह की कमी होने पर उसमें सुधार करना भी आवश्यक है. लेकिन किसानों की सबसे बड़ी समस्या यही है कि वो मिट्टी के बारे में जानना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें मृदा जांच की समझ नहीं है. अगर आप भी मिट्टी जांच का प्रशिक्षण लेकर खेती से मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो बिहार कृषि विश्वविद्यालय आपको अच्छा मौका दे रहा है.
मृदा जांच के लिए कार्यक्रम
दरअसल बिहार कृषि विश्वविद्यालय सात फरवरी तक कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए प्रमाणपत्र प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चला रहा है, जहां से किसान बहुत आराम से मृदा और उसके पोषक तत्वों के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते हैं. इस कार्यक्रम में मिट्टी की जांच, उर्वरक का प्रबंधन, उर्वरकों का सही उपयोग, गलत उर्वरकों से होने वाला नुकसान, मिट्टी और पौधों का संबंध आदि की जानकारी दी जाएगी.
दी जा रही है ट्रेनिंग
ऐसे में जो किसान पैदावार बढ़ाने के मिट्टी को समझते हुए अपनी खेती करना चाहते हैं, वो इस कार्यक्रम का लाभ उठा सकते हैं. कार्यक्रम में मिट्टी की जांच किस तरह की जाती है और कहां-कहां जांच केंद्र है, इसकी जानकारी भी दी जा रही है.
समेकित पोषण आपूर्ति प्रणाली पर फोकस
इतना ही नहीं, कार्यक्रम में समेकित पोषण आपूर्ति प्रणाली के अंतर्गत आने वाले प्रमुख उर्वरक, जैसे- गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, गोबर का पुनः उपयोग और फसल के अवशेषों से लाभ कमाने की जानकारी भी दी जा रही है. कार्यक्रम की अधिक जानकारी के लिए आप इस नंबर 0641 245 2604 पर फोन कर सकते हैं या इस लिंक पर जा सकते हैं.
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