मोदी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है. लेकिन इस बीच भारत के किसानों को लेकर एक चौंकाने वाला सर्वे सामने आया है. इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि देश में हर दूसरा किसान परिवार कर्ज के बोझ के तले दबा हुआ है. ये सर्वे राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ, NSO) द्वारा जारी की गई है. ऐसे में चलिए इस सर्वे की सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालते हैं.
देश के किसानों पर औसतन 74,121 रुपए कर्ज
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के सर्वे के मुताबिक, भारत में हर किसान परिवार पर औसतन 74,121 रुपए का कर्ज़ यानी की लोन है. वहीं देश में पिछले 5 सालों में किसान परिवारों पर औसतन कर्ज़ 58 फीसदी बढ़ गया है. ये आकंड़े राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जनवरी-दिसंबर 2019 में देश के प्रत्येक किसान परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण में सामने आया हैं.
किसान परिवार की मासिक आय महज 10,218 रुपए
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के इस सर्वेक्षण यानी की सर्वे में हर परिवार के पास कृषि भूमि व पशुधन की मौजूदगी का आकलन किया गया, जिसमें पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में हर किसान परिवार की मासिक आय महज 10,218 रुपए रही थी. इसमें 4063 रुपये उसकी मजदूरी, 3798 रुपये फसल उत्पादन, 1582 रुपये पशुपालन, 641 रुपये गैर कृषि व्यवसाय और 134 रुपए भूमि को पट्टे पर देने से कमाई होती है.
50 फीसदी से ज्यादा किसान परिवार कर्ज के बोझ तले दबे
सर्वे में पाया गया है कि 2019 में 50 फीसदी से ज्यादा किसान परिवार कर्ज के बोझ तले दबे थे. इन पर औसतन 74,121 रुपये का कर्ज था. किसानों के कुल बकाया कर्ज में से सिर्फ 69.6 फीसदी ही बैंक, सहकरी समितियों और सरकारी एजेंसियों जैसे संस्थागत स्रोतों से लिया गया था. वहीं 20.5 फीसदी कर्ज पेशेवर सूदखोरों से लिया गया था. इस सर्वे में ये भी पाया गया कि कुल कर्ज में 57.5 फीसदी लोन कृषि उद्देश्य से लिया गया.
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देश में कृषि परिवारों की संख्या 9.3 करोड़
एक अनुमान के मुताबिक, देश में कृषि परिवारों की संख्या 9.3 करोड़ है, जिसमें अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) 45.8 फीसदी, अनुसूचित जाति 15.9 फीसदी, अनुसूचित जनजाति 14.2 फीसदी और अन्य 24.1 फीसदी हैं.
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