
देशभर में किसानों के लिए राहत की खबर 4 फरवरी 2019 को तब आई थी जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार के निर्देश पर फसल ऋण (KCC) पर लगने वाले प्रसंस्करण शुल्क, दस्तावेज़ीकरण शुल्क, निरीक्षण शुल्क, लेजर फोलियो शुल्क सहित सभी सेवा शुल्कों को पूरी तरह माफ कर दिया गया. आदेश स्पष्ट था: 3 लाख रुपये तक के फसल ऋण पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा.
लेकिन ज़मीन पर सच्चाई क्या है?
बैंक अभी भी किसानों से वह वसूल रही है, जो अब माफ हो चुका है. न माफ़ी दिख रही है, न राहत मिल रही है, सिर्फ़ रसीद पर कटौती और जेब से वसूली हो रही है.
किसानों की जेब से "फीइजल" का खेल?
बैंक किसानों से उन शुल्कों के नाम पर पैसा वसूल रही हैं, जिन्हें सरकार ने माफ कर दिया है. यानी किसानों की जेब से बिना अधिकार के पैसा निकालना, और उसे सेवा का नाम देना एक "फीइजल" (फिजूल + धोखेबाज़ी) का खेल है.
बिहार के किसान लगातार शिकायत कर रहे हैं कि बैंकों में केसीसी नवीनीकरण या नए ऋण वितरण के समय उनसे प्रसंस्करण शुल्क (Processing Fee), निरीक्षण शुल्क (Inspection Fee) और दस्तावेजीकरण शुल्क (Documentation Charges) या अन्य शुल्क के नाम पर 500 से 2,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं. जब किसान आदेश की प्रति दिखाते हैं, तो बैंककर्मी कहते हैं "ऊ ऊपर से आदेश है, लेकिन अभी सिस्टम में अपडेट नहीं हुआ है."
आदेश का उल्लंघन या जानबूझकर अनदेखी?
सरकारी आदेश के बावजूद अगर बैंकों की यह मनमानी जारी है, तो यह न सिर्फ किसानों के साथ अन्याय है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है. इस पर किसान रमेश कुमार (मुजफ्फरपुर) बोले जब सुविधा का समय आता है, तो सिस्टम डाउन होता है. जब शुल्क काटना होता है, तो सिस्टम हाई-स्पीड चलता है! इस संबंध में ग्राउंड जीरो से एफटीजे टीम एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ़ इंडिया, केनरा बैंक, ग्रामीण बैंक, सेंट्रल बैंक एवं आदि बैंको से बात करने की प्रयास किया, लेकिन कट रहे है या नहीं और जहां कटे हैं तो क्यों इन सवालों पर किन्हीं भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
क्या है किसान क्रेडिट कार्ड?
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना, जिसे भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से 1998 में शुरू किया था, भारतीय किसानों के लिए जीवन रेखा रही है. समय पर और किफायती ऋण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई इस योजना ने लाखों किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशक जैसे कृषि इनपुट खरीदने के साथ-साथ अन्य उत्पादन आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाया है. हालाँकि, पहले इस योजना के तहत लोन लेने के लिए बैंक के कई चक्कर काटने पड़ते थे, ढेर सारे कागज देने पड़ते थे और 2-4 हफ्ते इंतजार करना पड़ता था. लेकिन अब डिजिटल माध्यम से यह सब काम आसान हो गया है.
डिजिटल केसीसी और फायदा?
1998 में शुरू हुई यह योजना अब एक नए रूप में आ गई है. अब किसान बिना बैंक गए, मोबाइल या डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं, ट्रैक कर सकते हैं और कुछ ही दिनों में पैसा भी पा सकते हैं. इसका लाभ छोटे और सीमांत किसान (SMF) पशुपालन, मछली पालन और डेयरी वाले किसान, बटाईदार और काश्तकार, स्वयं सहायता समूह (SHG) के कृषक लाभ ले सकते हैं.
तकनीकी बदलाव से क्या?
अब किसान बैंक शाखा जाए बिना ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, दस्तावेज़ कम, प्रक्रिया तेज, बायोमेट्रिक और पिन से एटीएम से पैसा निकाल सकते हैं, IDFC फर्स्ट बैंक जैसे बैंक घर-घर सेवा दे रहे हैं, WAVE (वर्ल्ड ऑफ एडवांस्ड वर्चुअल एक्सपीरियंस) जैसे प्लेटफॉर्म से कार्ड का नवीनीकरण मोबाइल से हो रहा है.
कितना मिलेगा लोन?
अब 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख तक का लोन मिलेगा, 2 लाख रुपये तक का लोन बिना गारंटी, किसान को कुल 9% ब्याज दर पर कर्ज मिलता है हालांकि, केंद्र सरकार इसके लिए 2% की सब्सिडी देती है इसके अलावा, यदि किसान एक साल के भीतर कर्ज चुकता कर देते हैं, तो उन्हें 3% की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी मिलती है इस तरह से, किसान की वास्तविक ब्याज दर सिर्फ 4% रह जाती है, जो इसे देश में सबसे सस्ता कर्ज बनाता है.
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