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असम में खड़ी फसलों पर आर्मी वर्म का प्रकोप

कोरोना संकट से हर तरफ त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. इस संकट का परिणाम पूरे विश्व ने लॉकडाउन के रूप में देखा है. कोरोना की मार से हर सेक्टर बेहाल है. कृषि कार्य भी कोरोना संकट से प्रभावित हुए हैं. किसान इस संकट से उबर पाते, इससे पहले एक और नया संकट खेती को नुकसान पहुंचाने आ पहुंचा है. कुछ दिन पहले कृषि निदेशालय ने असम के पूर्वोत्तर धेमाजी जिले में खड़ी फसलों पर आर्मी वर्म के हमले की जानकारी दी है. बता दें वह स्थान जहा लाकडाउन के कारण कटाई नहीं हो पाई थी, वहां आर्मी वर्म का ये हमला हुआ है.

कोरोना संकट से हर तरफ त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. इस संकट का परिणाम पूरे विश्व ने लॉकडाउन के रूप में देखा है. कोरोना की मार से हर सेक्टर बेहाल है. कृषि कार्य भी कोरोना संकट से प्रभावित हुए हैं. किसान इस संकट से उबर पाते, इससे पहले एक और नया संकट खेती को नुकसान पहुंचाने आ पहुंचा है. कुछ दिन पहले कृषि निदेशालय ने असम के पूर्वोत्तर धेमाजी जिले में खड़ी फसलों पर आर्मी वर्म के हमले की जानकारी दी है. बता दें वह स्थान जहा लाकडाउन के कारण कटाई नहीं हो पाई थी, वहां आर्मी वर्म का ये हमला हुआ है.

28 देशों में हो चुका है प्रसार:

आर्मी वर्म उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीकी महिद्वीप के अधिकांश हिस्सों में, अफ्रीका महाद्वीप के 28 देशों तथा एशिया के देशों जैसे भारत व चीन में ये तेजी से फैल रहे हैं. इस कीट की भयावहता को देखते हुए, फूड एण्ड ऐग्रिकल्चरल आर्गनाइजेशन ने इसकी रोकथाम के लिए दिसम्बर 2019 में 500 मिलियन डॉलर का एक ग्लोबल ऐक्शन प्लान तैयार किया.

यह पहल वैश्विक स्तर पर स्थायी कीट नियंत्रण और रोकथाम के लिए मजबूत व समन्वित उपाय करेगी. सर्वप्रथम 2016 मे आर्मी वर्म की पहली सूचना अफ्रीका महाद्वीप से आयी, जहां इन्होने मक्के की फसलों को भारी क्षति पहुंचायी थी. भारत में कीटविज्ञानी सी. एम. कामेश्वर व शरनबसप्पा ने 2018 में कर्नाटक के मक्के के खेतो में इसके होने की बात पहली बार बताई, इसके कुछ महीने पश्चात ये महाराष्ट्र के मक्के के खेतों में देखे गए तथा 6 महीने के अंदर महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा तथा पश्चिम महाराष्ट्र में फैल गए. 2019 तक आर्मी वर्म का प्रसार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तथा तमिलनाडु तक हो गया था.

इसी कारण इन्हें आर्मी वर्म कहते हैं:

फाल आर्मी वर्म पौधों की 80 से अधिक प्रजातियां खाते हैं, ये ज्यादातर हरी पत्तियों को ही खाते हैं, लेकिन कई बार सीड स्टेम को खाकर पौधो में हेड लॉस भी करते हैं. भोजन कम होने पर ये नये चारागाह या नयी फसलों की तलाश में लंबी दूरी तक यात्रा कर सकते हैं. इसी कारण इन्हें आर्मी वर्म कहा गया है. इनके वयस्क लंबी दूरी का सफर तय करते हैं, तथा इनकी विस्थापन दर 300मील/पीढ़ी है. आर्मी वर्म अपने जीवन की मोथ अवस्था में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं. खासकर जब मौसम नम व गर्म रहता है. इनका जीवन काल गर्मी में 30 दिन, पतझड़ व बसंत में 60 दिन तथा सर्दियो में 80-90 दिन का होता है.

ऐसे होगी रोकथाम :

इनकी रोकथाम के लिए फेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोग्रामा वास्प का उपयोग किया जा सकता है. कुछ लाभदायक कीट जैसे आइस विंग, लेडी बग, माइन्युट पाइरेट बग इनके अंडे खाते हैं. नीम के तेल का उपयोग भी इनकी रोकथाम में लाभदायक होता है.

English Summary: army worm attacked assam crops Published on: 07 May 2020, 01:29 PM IST

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