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Plant Based Protein से बना शाकाहारी मीट उत्पाद बढ़ाएगा किसानों की आय: APEDA

एपीडा ने प्लांट बेस्ड मीट की डिमांड पूरी करने के लिए वेगन प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट का निर्णय लिया है और यह बताया है कि कैसे इससे किसानों की आय में चौगुना मुनाफा हो सकेगा.

रुक्मणी चौरसिया
APEDA Vegan Products Export Update
APEDA Vegan Products Export Update

प्लांट बेस्ड प्रोटीन से बने मीट उत्पादों के प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट में लगातार वृद्धि हो रही है और विश्व में इन प्रोडक्ट्स को 'वेगन प्रोडक्ट' के नाम से जाना जाता है. दुनिया में लोग अपनी फूड हैबिट को नॉन वेजिटेरियन से बदल कर वेजिटेरियन फूड की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. भारत के पास इस तरह के प्रोडक्ट बनाने की अच्छी क्षमता है, क्योंकि भारत में शाकाहारी मीट बनाने के लिए पर्याप्त रॉ मटेरियल उपलब्ध हैं. ऐसे में कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए शाकाहारी उत्पादों (Vegan Products) के निर्माण के लिए नियम और मानक बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है.

वेगन प्रोडक्ट एक्सपोर्ट की मुख्य दिशा

इसी संदर्भ में एपीडा के जनरल मैनेजर वी. के. विद्यार्थी ने कृषि जागरण को बताया कि देश में कृषि खाद्य संस्करण को बढ़ाना बहुत जरूरी है और इसके ना होने की वज़ह से देश में कृषि के फील्ड लेवल पर काफी नुकसान होता है. वेगन प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट करने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य एग्रीकल्चर के वैल्यू एडिशन को बढ़ाना है, जो अभी तक सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत ही है.

इसके बाद उन्होंने कहा कि पहले लोगों को सही मायने में वेगन प्रोडक्ट्स को समझाना होगा. उदाहरण के लिए देसी भाषा में हम सब जिसको सोया चाप कहते हैं उसको सोयाबीन का एक्सक्लूशन कर के बनाया जाता है. इस चाप का मीट जैसा टेक्सचर होता है और खाने में मीट जैसा ही फ्लेवर आता है.

वेजीटेरियन मीट का लें मज़ा

जिन लोगों का टेस्ट पशुओं के मांस पर आधारित है और वह हाई कैलोरी डाइट नहीं लेना चाहते हैं, तो उनके लिए वेगन फ़ूड बहुत अच्छा विकल्प है, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा. कुछ ख़बरों के मुताबिक, अमेरिका के अत्यधिक लोगों ने अपने डाइट को नॉन-वेजीटेरियन से वेजीटेरियन पर स्विच किया है.

विद्याथी जी ने आगे कहा कि हमारे शरीर को जितने भी विटामिन, मिनरल्स, नुट्रिएंट और प्रोटीन की जरूरत होती है, वो हमें किसी जानवर से ना लेकर पौधे से लेना चाहिए. इसका फायदा यह है कि जो भी एनिमल वेस्ट निकलेगा उसको हम अपनी खेती में कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, गाय के गोबर का इस्तेमाल किसान अपनी खेती में खाद के रूप में कर सकते हैं. वहीं, गौमूत्र को जैविक कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

इसी प्रोसेस का इस्तेमाल हम दालों में भी कर सकते हैं, जिससे वैल्यू एडिशन तो होगा ही साथ ही इसका मुनाफा भी चौगुना होगा, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकेगी.

वेगन प्रोडक्ट बनाने में किन फसलों का है अहम योगदान

भारत में देसी दालों की किस्मों के अंदर प्रोटीन की मात्रा और रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. अगर हम दालों में से प्रोटीन निकालकर शाकाहारी मीट उत्पाद बनाएं, तो उससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो सकेगी.

दाल, सोयाबीन, मिलेट जैसी फसलें वेगन प्रोडक्ट के मुख्य आधार हैं और यह उस जगह उगाई जाते हैं जहां पानी की खपत कम होती है. ऐसे में कृषि क्षेत्र में पानी की समस्याओं को देखते हुए किसान भाई इसको अपना सकते हैं, जिससे भविष्य में उनको नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा. इसके अलावा, दालों का जो वेस्ट बचेगा उसको पशु आहार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि दालों का उगाना इसलिए भी बहुत जरूरी है, क्योंकि यह क्रॉप रोटेशन यानी फसल चक्र में यूरिया की कमी को पूरा करती है.

देश की खाद्य सुरक्षा पर नहीं पड़ेगा कोई असर

इसके बाद उन्होंने यह आश्वासन दिया कि वेगन प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट से देश की खाद्य सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि हमारी पॉपुलेशन ग्रोथ 2.1 प्रतिशत है. वहीं हमारी एग्रीकल्चर ग्रोथ 3.5 प्रतिशत है, जिससे यह साबित होता है कि हमारे पास सरप्लस एग्रीकल्चर है, जिसे हमे विदेशों में एक्सपोर्ट करना ही पड़ेगा. 

एपीडा का वेगन प्रोडक्ट एक्सपोर्ट मॉडल

एपीडा वेगन प्रोडक्ट एक्सपोर्ट के लिए 2 मॉडल पर काम करेगा, जिसमें पहला एग्रीकल्चर सप्लाई चैन और दूसरा एक्सपोर्ट मार्केटिंग है. जिसमें कृषि क्षेत्र में प्रोडक्शन, क्वालिटी, ओरिएंटेशन, तकनीक, टेक्नोलॉजी आदि जैसी जितनी भी समस्याएं हैं, उसको एपीडा निधान करेगा और उसके बाद, निवारण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज, तकनीक विशेषज्ञ है उनकी मदद ली जाएगी और इस गैप को खत्म किया जाएगा.    

विद्यार्थी ने आगे बताया कि लोगों में वेगन प्रोडक्ट्स की रूचि से पशुपालन क्षेत्र पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए है, क्योंकि कृषि और पशुपालन एक दूसरे के साथी हैं. जानवर से निकली हर एक चीज़ का इस्तेमाल खेती में किया जा सकता है.

एपीडा का लक्ष्य

इस साल के अंदर एपीडा का यह लक्ष्य है कि वह वेगन प्रोडक्ट्स के रेगुलेशन और स्टैंडर्ड को लेकर इन्होंने जो कमेटी बनाई है उसका ड्राफ्ट बनाकर आगे नोटिफाई कर सकें. इसके अलावा, WTO के प्रावधान के अंतर्गत एपीडा, सर्टिफिकेशन बॉडीज के साथ म्यूच्यूअल रेकोगिनिज़शन एग्रीमेंट साईन करेगा.

एपीडा के जीएम ने आखिर में कहा कि वेगन प्रोडक्ट्स के रेगुलेशन स्टैंडर्ड सिर्फ एक्सपोर्ट को लेकर ही बनाए जा रहे हैं और यह इम्पॉर्टिंग देश के मांग के हिसाब से ही बनाए जा रहे हैं.            

English Summary: APEDA takes a new initiative for vegetarian meat, Vegan Products will be exported worldwide Published on: 26 July 2022, 05:37 PM IST

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