भारत में खेती- किसानी करने की परंपरा एक लंबे अरसे से चली आ रही है, लेकिन इसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग हरित क्रांति के दौरान शुरु हुआ और धीरे- धीरे पूरे देश में प्रचलित होता चला गया. जब इसका प्रयोग शुरु हुआ था तब किसानों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में नहीं पता था.
लेकिन अब कीटनाशकों से किसानों की खेती की उर्वरक क्षमता सीमित हो रही है जिसके चलते देश के कई हिस्सों में सरकार के साथ मिलकर किसान जैविक खेती को अपना रहे हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के किसान जैविक खेती को अपनाने के लिए कृषि विभाग के साथ आए हैं.
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दरअसल, नरसिंहपुर में कृषि विभाग के द्वारा किसानों को जैविक खेती की ओर आकर्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसमें 2500 से ज्यादा किसानों ने पंजीकरण करवाया है. कृषि विभाग के द्वारा 4500 एकड़ हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
नरसिंहपुर की खेती की है ये खासियत
कृषि विभाग के अनुसार नरसिंहपुर की मिट्टी मध्यम काली मिट्टी है जोकि कि रबी की खेती के लिए सबसे बेहतर होती है. यहां गन्ने की खेती सबसे ज्यादा की जाती है.
जैविक खेती से किसानों को होगा ये फायदा
नरसिंहपुर के कृषि उप संचालक राजेश त्रिपाठी के अनुसार जैविक खाद का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, उसकी जल धारण क्षमता बढ़ती है, मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है.
आने वाले रबी सीजन में दिखेगा इस अभियान का असर
नरसिंहपुर के कृषि संचालक के अनुसार जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों के बीच में जैविक खादों के उपयोग को प्रचारित करने के लिए गांवों से लेकर जनपदों तक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर लगभग 4500 हेक्टेयर रकबे में जैविक खेती करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है, जिसके तहत 2500 से ज्यादा किसानों ने अभी तक पंजीयन करवाया है. मौजूदा समय में जिले में 70 से 75 किसान लगभग 500 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं. लेकिन आने वाले समय में यह आंकड़ा बढ़कर 5 हजार हेक्टेयर पर पहुंच सकता है.
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