लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पंचायतीराज विभाग में 107 करोड़ रूपए के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। प्रदेश सरकार ने इस मामले में 13 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिसमें पंचायतीराज विभाग का एक सेवानिवृत्त निदेशक शामिल है। भारतीय जनता पार्टी के गत 19 मार्च को सत्तारूढ होने के बाद यह पहला बड़ा घोटला प्रकाश में आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी मिलने के बाद पंचायतीराज विभाग ने इसकी जांच सतर्कता विभाग को सौंपी।
जांच में विभाग द्वारा गत मार्च और मई के बीच जारी की गई धनराशि की जांच शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश पंचायतीराज राज्यमंत्री भूपेन्द्र चौधरी ने बताया कि इस मामले में निलंबित अधिकारियों में लखनऊ मुख्यालय में तैनात अपर निदेशक राजेन्द्र सिंह, मुख्य वित्त अधिकारी और लेखाधिकारी केशव सिंह, अपर निदेशक एस.के. पटेल और उप निदेशक गिरीश चन्द्र राजक शामिल है। उ
न्होंने बताया कि निलंबित किये गये अधिकारियों में देवरिया के जिला पंचायत अधिकारी एस.पी. सिंह और सुल्तानपुर के अरविंन्द कुमार शामिल है। इसके अलावा देवरिया के छह अपर जिला पंचायत अधिकारी शामिल हैं, जिनकी पहचान नही हो पायी। चौधरी ने बताया कि इसके अतिरिक्त पंचायती विभाग के पूर्व निदेशक अनिल कुमार दमेले के खिलाफ जांच के आदेश दिये गये है। दमेले गावों में धनराशि आवंटित करने वाली कमेटी के मुखिया थे। दमेले हाल ही में सेवानिवृत्त हुये थे। मंत्री ने बताया कि कमेटी ने 31 जिलों के 1,798 ग्राम पंचायतों के लिये 699.72 करोड़ रूपये 21 मार्च तक के लिये आवंटित किये थे। इन जिलों का चयन वर्ष 2०13-14 और 2०14-15 के दौरान ग्राम पंचायतों की प्रगति रिपोर्ट के आधार पर किया गया था।
पंचायतों को मार्च और मई 2017 में धन जारी किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि केवल 1,798 ग्राम पंचायतों का चयन धन आवंटित करने के लिये किया गया था। इसमें से 1,123 ग्राम पंचायतों का वित्तीय रिकार्ड खराब था। उन्होंने बताया कि सरकार ने बैंक से भी नहीं पूछा था। विभाग ने इस ग्राम पंचायतों को धन देने के आदेश देकर 107 करोड़ रूपये जारी कर दिये गये। मंत्री ने दावा किया इसमें 107 करोड़ रूपये का घोटाला किया गया। उन्होने बताया कि विभाग अधिकारियों को खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।
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