भारत में कृषि के मोर्चे पर अच्छी खबर है. जहां, कुछ साल पहले तक भारत में लोग खेती से दूरी बना रहे थे. वहीं, अब खेती के प्रति लोग लगातार जागरूक हो रहे हैं. खेती के प्रति बढ़ रहे लोगों के रुझान का पता आप इस बात से लगा सकते हैं की पिछले तीन वर्षों में 56 मिलियन भारतीय वापस कृषि से जुड़े हैं. इसके पीछे COVID-19 को एक बड़ी वजह बताई जा रही है. एक रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, COVID-19 के बाद से कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की हिस्सेदारी बढ़ी है.
कृषि क्षेत्र को ओर बढ़ा लोगों को रुझान
कृषि से जुड़े समाचार वेबसाइट डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) द्वारा सह-निर्मित, इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स द्वारा स्थापित दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संस्था, भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 के अनुसार , "गैर कृषि क्षेत्रों के बजाए, कृषि क्षेत्र की ओर लोगों का रुझान पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है."
रिपोर्ट में कहा गया है कि "2019 के बाद, महामारी के कारण यह धीमा संक्रमण उलट गया, कृषि रोजगार की हिस्सेदारी में वृद्धि के साथ-साथ कृषि कार्यबल के पूर्ण आकार में भी वृद्धि हुई." इसमें मुख्य रूप से 2020 और 2022 के दौरान आयोजित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के माध्यम से उत्पन्न रोजगार पर भारत सरकार के डेटा का उपयोग किया गया.
2020-2022 के दौरान, कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या में लगभग 56 मिलियन की वृद्धि दर्ज की गई. यह अवधि मार्च 2020 में COVID-19 महामारी के प्रकोप के साथ मेल खाती है, जिसके कारण लगभग दो महीने का सख्त लॉकडाउन लगा और 2022 में इसकी अवधि कम हो गई. 2020 में, देश में अक्सर शहरी केंद्रों से गांवों की ओर अनौपचारिक श्रमिकों का पलायन देखा गया. इसे 1947 में उपमहाद्वीप के विभाजन से भी बड़ा मानवीय आंदोलन बताया गया, जिसने भारत और पाकिस्तान को जन्म दिया.
COVID-19 ने बदली तस्वीर
2020 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में श्रमिकों की संख्या में 30.8 मिलियन की वृद्धि हुई. अगले वर्ष, कृषि क्षेत्र के कार्यबल में 12.1 मिलियन लोग जुड़े. जबकि, 2022 में इसमें 12.9 मिलियन की वद्धि हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि "2000 और 2019 के बीच, वयस्कों की तुलना में युवा अधिक संख्या में कृषि से बाहर चले गए, लेकिन COVID-19 महामारी ने गैर-कृषि क्षेत्रों में युवा रोजगार विस्तार की दीर्घकालिक प्रवृत्ति को उलट दिया."
अर्थव्यवस्था को फायदा या नुकसान?
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कृषि की ओर वापसी का यह बदलाव अपने आप में अच्छी खबर नहीं हो सकता है. यह संकट का संकेत हो सकता है: चूंकि गैर-कृषि क्षेत्र रोजगार पैदा करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए लोगों को गैर-लाभकारी कृषि क्षेत्र में वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इसके अलावा, कृषि कार्यबल में यह वृद्धि 2020-2022 के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं के इस क्षेत्र में वापस आने के कारण है. रिपोर्ट में कहा गया है, "2019 के बाद वृद्धिशील रोजगार में लगभग दो तिहाई स्व-रोजगार श्रमिक शामिल थे, जिनमें अवैतनिक (महिला) पारिवारिक कार्यकर्ता प्रमुख हैं."
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