मसाले हमारी रसोई का अभिन्न अंग है और रोजाना के खाने में शामिल होते हैं. ये सब शरीर के लिए लाभदायक हैं. ज्यादातर हम इन मसालों को बहुत महत्व नहीं देते और सिर्फ खाना बनाने की प्रक्रिया का छोटा सा हिस्सा समझते हैं लेकिन ये सभी मसाले अपने आप में एक औषधि हैं. इनका सही तरीके से इस्तेमाल हमें कई गम्भीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है एवं इनका उपयोग दवा का काम करता है.
अदरक उपचार के लिए एक औषधि
अदरक का प्राचीन काल में प्रयोगः ऐतिहसिक अभिलेखों से भी पहले से भारत और चीन में अदरक को एक मसाले और औषधि के रूप में उपजाया और इस्तेमाल किया जाता था. दोनों देशों के शुरूआती चिकित्सा ग्रंथों में ताजे और सुखाए गए दोनों रूपों में इस मसाले के औषधीय इस्तेमाल का विस्तार से वर्णन है. चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के चीनी ग्रंथों में अदरक को पेट की समस्याओं, मतली, दस्त, हैजा, दांतदर्द, रक्तस्त्राव और गठिया के उपचार के लिए एक औषधि बताया गया है. चीन के जड़ी-बूटी विशेषज्ञ इस बूटी का इस्तेमाल सर्दी, खांसी सहित तमाम स्वास संबंधी बीमारियों के उपचार में भी करते हैं. पांचवी सदी में चीनी नाविक लंबी समुद्री यात्राओं में स्क्रवी के इलाज के लिए अदरक में मौजूद विटामिन सी तत्वों का इस्तेमाल करते थे.
कई तरह के रोगों में अदरक का इस्तेमाल
भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में अदरक को सबसे महत्वपूर्ण बूटियों में से एक माना गया है. आयुर्वेदिक चिकित्सक इसको एक शक्तिशाली पाचक के रूप में लेने की सलाह देते हैं क्योंकि यह पाचक अग्नि को भड़काता है और भूख बढ़ाता है. इसके पोषक तत्व शरीर के सभी हिस्सों तक आसानी से पहुंच पाते हैं. आयुर्वेद में अदरक को जोड़ों के दर्द, मतली और गति के कारण होने वाली परेशानी के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है.
अदरक एक आयुर्वेदिक महाऔषधि
अदरक में आयरन, कैल्शियम, आयोडीन, क्लोरीन व विटामिन सहित कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं. अदरक को ताजा और सूखा दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है. अदरक एक मजबूत एंटीवायरल भी है. अदरक को आयुर्वेदिक महाऔषधि के रूप में जाना जाता है. कई वैज्ञानिक शोध् इस बात की पुष्टि भी करते हैं. अदरक में शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ताजा अदरक में पानी, प्रोटीन, वसा, रेशे और कार्बोहाइड्रेट पाये जाते हैं. अदरक स्वाद में तीखी होती है. अदरक चिड़चिड़ापन दूर करने वाली एक अद्भुत औषधि है. यह पाचक, पीड़ानाशक तथा वायु और कफ का नाश करती है. अदरक जमीन के नीचे पाई जाने वाली ढाई से तीन फीट उँचाई की झाड़ी की पीले रंग की जड़ होती है. अदरक लंबे समय तक उपयोगी बनी रहे इस के लिये उसे धूप में सुखाया जाता है. कुछ जगह दूध में डुबोकर सूखने के बाद उसका सौन्ठ बनाया जाता है. सौन्ठ अदरक से भी ज्यादा गरम होती है. सौन्ठ से तेल निकाला जाता है. अगर आप अदरक को लम्बे समय तक संभाल कर रखना चाहते हैं तो उसे गीली मिट्टी में भी दबा कर रखा जा सकता है. मसाले और दवा के तौर पर अदरक को दुनिया भर में उपयोग किया जाता है. अदरक दवा के रूप में बहुत ही परिणामकारक सिद्ध हुआ है इसलिये उसे महाऔषधि भी कहा जाता है.
पाचन विकार के लिएः पाचन विकारों में अदरक मदद कर सकता है. अपच, खाने की अनिच्छा, पेट में गैस होना, उल्टी होना, कब्ज होना आदि के लिये व एसिडिटी के लिए यह बहुत फायदेमंद है. जी मचलना, छाती में जलन, खट्टी डकार आदि के लिये खाना खाने के पूर्व अदरक का टुकडा नमक के साथ चबा-चबाकर खाएं आध चम्मच अदरक का रस, सम मात्रा में शहद और नीम्बू का रस मिलाकर दिन में तीन बार लें. अदरक, सैन्ध नमक, काली मिर्च और पुदीने की चटनी भोजन के साथ लें. सुबह-शाम खाली पेट अदरक का छोटा सा टुकड़ा और उतना ही नमक चबा-चबा कर उसे निगल लें. आधे घंटे तक कुछ ना खायें पियें. रात को सोने से पूर्व ठंडा दूध् शक्कर मिलाकर पिएं. यह उपाय इक्कीस दिनों तक करने से पुरानी पित की तकलीफ भी दूर हो जाती है.
सांस विकार के लिएः सर्दी, जुकाम, पुरानी काली खांसी, क्षयरोग, कफ, दमा आदि के लिये अदरक का रस शहद के साथ दिन में तीन बार लें. अदरक के टुकड़े पानी में उबालकर जरूरत के अनुपात में शक्कर मिला कर वह पानी गरम करके पीना चाहिए. अदरक की चाय लीजिये. अदरक का रस दुगने अनुपात में मिश्री या गुड के साथ मिलाकर लें. सौन्ठ तथा उससे चार गुणा मिश्री का काढ़ा लेने से कफ़ पतला होने में मदद होती है.
वेदना शामकः वेदना कम करने के लिए अदरक के चार प्रयोगः अदरक को पानी के साथ पीसकर वह लेप जहां दर्द हो रहा हो वहां लगायें. ताजा जख्मों पर ना लगायें. दांत के दर्द में अदरक का टुकडा दांत में पकड कर रखें. कान के दर्द में दो बूंद अदरक का रस कान में डालें. गठिया में कद्दूकस किया हुआ अदरक गरम करके लगायें.
त्वचा के लिएः अदरक का सेवन करने से त्वचा आकर्षक और चमकदार होती है. सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का टुकडा खाने से त्वचा में निखार आता है.
खांसी के लिएः खांसी में अदरक बहुत फायदेमंद होता है. खांसी आने पर अदरक के छोटे टुकडे को बराबर मात्रा में शहद के साथ गर्म करके दिन में दो बार सेवन कीजिए. इससे खांसी आना बंद हो जाएगा और गले की खराश भी समाप्त होगी.
भूख की कमी के लिएः अगर भूख लगने में दिक्कत हो रही हो तो अदरक का नियमित सेवन करने से भूख न लगने की समस्या से निजात मिल जाएगा. अदरक को बारीक काटकर थोडा सा नमक लगाकर दिन में एक बार लगातार आठ दिन तक खाइए. इससे पेट साफ होगा और ज्यादा भूख लगेगी.
हाजमे के लिएः पेट और कब्ज की समस्या के लिए अदरक बहुत फायदेमंद है. अदरक को अजवाइन और नींबू के रस के साथ थोडा सा नमक मिलाकर खाइए. इससे पेट का दर्द ठीक होगा और खट्टी डकार आना बंद हो जाएगी.
उल्टी के लिएः अगर बार-बार उल्टी आ रही हो तो अदरक को प्याज के रस के साथ दो चम्मच पी लें. इससे उल्टी आना बंद हो जाएगी.
सर्दी और जुकामः सर्दी और जुकाम में अदरक बहुत फायदेमंद है. सर्दी होने पर अदरक की चाय पीने से फायदा होता है. इसके अलावा अदरक के रस को शहद में मिलाकर गर्म करके पीने से फायदा होता है.
कैंसर के लिएः अदरक में कोलेस्ट्रोल का स्तर कम करने, खून का थक्का जमने से रोकने, एंटी फंगल और कैंसर के प्रति प्रतिरोधी होने के गुण भी पाए जाते हैं.
अन्य बीमारियां: अदरक को दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. अदरक का सेवन करने से गठिया, अर्थराइटिस, साइटिका, गर्दन और रीढ की हड्डियों के रोग का इलाज किया जा सकता है. अदरक महिलाओं में मासिक ध्र्म की अनियमितता को दूर करने में भी मददगार होता है.
अदरक के अन्य फायदेः अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं. अदरक कोलेस्ट्रोल को भी कंट्रोल करता है जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है. अदरक का प्रयोग करने से शरीर में खून के थक्के नहीं जमते. अदरक का रस और पानी बराबर मात्रा में पीने से दिल सम्बंध्ति बीमारियां नहीं होतीं. अदरक की तासीर गर्म होती है. गर्मी के मौसम में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए.
सावधनीः अदरक उष्ण गुणधर्म है. इसलिये गर्मी में कम उपयोग किया जाये. उच्च रक्त चाप, अल्सर, रक्तपित आदि में अदरक का उपयोग ना करें.
लेखक: डॉ॰ विपिन शर्मा; रसायन विशेषज्ञ
डॉ. हैपी देव शर्मा; प्राध्यापक शाक विज्ञान
डॉ॰ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय
नौणी सोलन 173 230 ;हि॰प्र॰
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