भारत में हर त्यौहार बड़ी और उल्लास के साथ मनाया जाता है. बाजारों में हर तरफ रौनक छा जाती है. दूर-दराज से आए हुए लोग अपने घर की तरफ जाने लगते है. ट्रैनों, बसों हर जगह सिर्फ भीड़ और उसके साथ लोगों के चेहरों पर घर जाने की खुशी दिखाई देगी. सभी आने वाले यात्री के पास आप बड़े-बड़े थैले से लेकर हाथ में गिफ्ट लिए हुए आसानी से दिख जाएंगे. आज की भागदौड़ भरी जिदंगी में जीने के बाद भी ऐसे नजारें इस बात की ओर विश्वास बढ़ाते है कि आज भी भारत की पहचान उसके त्यौहार ही है. दीवाली से पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. जिसका बहुत महत्व होता है. इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है.
कब और क्यों मनाया जाता है धनतेरस
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन यानि दिवाली दो दिन पहले मनाया जाता है. कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है क्योंकि धारणा है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है. शास्त्रों के मुताबिक धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान वो अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे. इसी कारण से भगवान धन्वंतरि को औषधी का जनक भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन सोने-चांदी के बर्तन खरीदना भी शुभ होता है.
कैसे करें पूजा
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर पूर्व दिशा की ओर स्थापित करें और फिर भगवान धन्वंतरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवंतरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
मत्रं जपने के बाद पूजन स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं. आचमन के लिए जल छोड़े. भगवान धन्वन्तरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं. चांदी के पात्र में (अगर चांदी का पात्र उपलब्ध न हो तो अन्य पात्र में भी नैवेद्य लगा सकते हैं) खीर का नैवैद्य लगाएं। तत्पश्चात पुन: आचमन के लिए जल छोड़े. मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं. भगवान धन्वन्तरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें. शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वन्तरि को अर्पित करें.
स्थिर लक्ष्मी की होती है इस दिन खास पूजा
इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने के साथ-साथ सात धान्यों (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) की पूजा की जाती है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग किया जाता है, इसके साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी की भी पूजा करने का विशेष महत्व है.
धनतेरस के दिन कुबेर को प्रसन्न करने का मंत्र- शुभ मुहूर्त में धनतेरस के दिन धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का जाप करने से भगवन धनवन्तरी बहुत खुश होते हैं, जिससे धन और वैभव की प्राप्ति होती है.
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त..
प्रदोष काल- शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट की अवधि को प्रदोष काल कहते हैं. इस काल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना अति शुभ माना जाता है. इस समय पूजा करने से घर-परिवार में स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
चौघाडिया मुहूर्त- शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने की मान्यता है.
धनतेरस की कथा
एक किवदन्ती के अनुसार एक राज्य में एक राजा था, कई वर्षों तक प्रतिक्षा करने के बाद उसके यहां पुत्र संतान की प्राप्ति हुई. राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी.
ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ. एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी, राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये और उन्होने आपस में विवाह कर लिया. ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें. यमदूत को देख कर राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी. यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा की इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताइये, इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा, तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है.
धनतेरस पूजा मुहूर्त
प्रदोष काल 2 घण्टे एवं 24 मिनट का होता हैं. अपने शहर के सूर्यास्त समय अवधि से लेकर अगले 2 घण्टे 24 मिनट कि समय अवधि को प्रदोष काल माना जाता हैं. अलग- अलग शहरों में प्रदोष काल के निर्धारण का आधार सूर्योस्त समय के अनुसार निर्धारीत करना चाहिये. धनतेरस के दिन प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है.
कब करें खरीदारी और कब है शुभ मुहूर्त
खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त धनतेरस वाले दिन शाम 7.19 बजे से 8.17 बजे तक का है. जानिए कब करें किस चीज की खरीदारी.
काल- सुबह 7.33 बजे तक दवा और खाद्यान्न.
शुभ- सुबह 9.13 बजे तक वाहन, मशीन, कपड़ा, शेयर और घरेलू सामान.
चर- 14.12 बजे तक गाड़ी, गतिमान वस्तु और गैजेट.
लाभ- 15.51 बजे तक लाभ कमाने वाली मशीन, औजार, कंप्यूटर और शेयर.
अमृत- 17.31 बजे तक जेवर, बर्तन, खिलौना, कपड़ा और स्टेशनरी.
काल- 19.11 बजे तक घरेलू सामान, खाद्यान्न और दवा.
धनतेरस पर करें कुछ खास उपाय
इस दिन शाम के समय घर के बाहरी मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढ़ेर पर तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए। दीपक को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके जलाएं।
मान्यता के अनुसार इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. चांदी के बर्तन उपलब्ध ना होने की स्थिती में अन्य धातुओं के बर्तन खरीदे जा सकते है.
धनतेरस के दिन बर्तन खरीदते वक्त घर में उसे खाली ना लाएं. उसमें कुछ ना कुछ अवश्य ड़ालकर लाएं। इस से आपका घर धन-धान्य से भरा रहेगा.
कोशिश करें धनतेरस के दिन ना तो कोई सामान उधार लें और ना ही किसी को उधार दें.
इस दिन तिजारी में अक्षत (चावल) के रखें. इससे आपकी तिजोरी में हमेशा बरकत रहेगी.
पूजा के समय इस मंत्र का करें जप
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि..
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