Insulin milk: गाय के दूध को अमृत कहा जाता है. लेकिन, कुछ बीमारियों में मरीजों को दूध पीने से मना किया जाता है. ऐसी ही एक बीमारी है मधुमेह/Diabetes, जिसे हम शुगर की बीमारी भी कहते हैं. वैसे शुगर की मरीजों को दूध पीने पर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन, उन्हें इससे परहेज करने को कहा जाता है. जिसकी वजह है दूध में मौजूद वसा और कार्ब्स की मात्रा. दूध में इनकी मात्रा अधिक होती है, जो मधुमेह के मरीजों के लिए जोखिम भरा हो सकता है. दूध में मौजूद कार्बोहाइड्रेट टूट जाते हैं और आपके रक्तप्रवाह में शर्करा बन जाते हैं. लेकिन, अब यही दूध शुगर के मरीजों के लिए वरदान साबित होने वाला है.
जी हां, सही सुना आपने. अब दूध ही शुगर की बीमारी को जड़ से खत्म करेगा. दरअसल, वैज्ञानिकों ने जीन में परिवर्तन करके एक ऐसी गाय बनाई है, जिसके दूध में इंसुलिन की अधिकता रहेगी. मधुमेह मुख्य रूप से इंसुलिन की कमी के चलते होता है. जिसके कारण खून से शुगर का अवशोषण नहीं हो पाता है यह बढ़ी हुई शुगर किडनी, लिवर, आंख, हार्ट जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाती है.
शरीर में इंसुलिन की कमी घातक साबित हो सकती है. लेकिन, अब यही इंसुलिन गाय के दूध में भी मौजूद होगा. जिससे डायबिटीज के मरिजों को बड़ा फायदा होगा. बता दें कि दुनिया भर में डायबिटीज के 50 करोड़ मरीज हैं, इनमें भारत में 10 करोड़ शुगर के मरीज हैं. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को रोजाना इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
गाय से निकाला गया इंसुलिन वाला दूध
बता दें कि ये कमाल यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोएस (अमेरिका) में जानवरों के वैज्ञानिक मैट व्हीलर ने कर दिखाया है. व्हीलर इस पर एक रिसर्च कर रहे थे. तभी उन्होंने जीन में बदलाव कर एक ऐसी गाय बनाई, जो इंसुलिन वाला दूध देने में सक्ष्म है. मैट व्हीलर ने बताया कि मां का दूध वास्तव में प्रोटीन की फैक्ट्री होता है. हमने इसका फायदा उठाया और इसी प्रोटीन को इस तरह बना दिया जो दुनिया भर में हजारों लोगों के लिए रामबाण साबित हो सकता है.
मैट व्हीलर के नेतृत्व में किस तरह गाय के जीन में परिवर्तन किया गया, यह बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में विस्तार से प्रकाशित हुआ है. वर्तमान में कई ऐसे मरीज हैं जिन्हें रोजाना इंसुलिन की जरूरत पड़ती है. यह इंसुलिन जेनेटिकली मोडिफाइड बैक्टीरिया से बनाया जाता है जो महंगा भी होता है. लेकिन अगर यह दूध से डायरेक्ट मिल जाए तो इसका फायदा लाखों लोगों को होगा.
वैज्ञानिकों ने कैसे किया कमाल?
मैट व्हीलर की टीम ने गाय के भ्रूण से इंसुलिन प्रोटीन वाला मानवीय डीएनए का सेगमेंट निकालकर सेट कर दिया. इस डीएनए में मानवीय डीएनए का कोड मौजूद रहता है. इस जीन को इंजीनियरिंग करने के बाद भ्रूण को सामान्य गाय के गर्भाशय में पहुंचाया गया. इससे एक सुंदर बछड़ी का जन्म हुआ. इसके बाद यह गाय बड़ी होकर गर्भवती हुई और वह दूध देना शुरू किया. जब दूध का जांच की गई तो पाया गया कि वहां वही प्रोटीन है, जो मानव इंसुलिन में पाया जाता है. अध्ययन से पाया गया कि दूध के प्रोइंसुलिन भौतिक रूप से मानव इंसुलिन में परिवर्तित हो जाता है.
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