आया था मै नन्हा सा एक परिंदा बनकर इस दुनिया में,
लेकिन शुरूआती हालातों ने मुझे उड़ने न दिया..
लेकिन लिखा था जो उस इश्वर ने किस्मत उसको मिटा सकता था कौन,
जिन पिता का हाथ पकड़कर चलना सीखा..
उनकी एक सीख ने बुलंदियों पे चढ़ना सिखा दिया,
मैंने तो बस देश सेवा की एक छोटी सी कोशिश की..
मेरे देश के वासियों से तो अपने दिल मेरा एक अलग मक़ाम बना दिया,
जिम्मेदारी मैंने बखूबी निभाई..
मेरे देश ने मुझे एक अच्छा सिला दिया,
मैंने इस देश के युवाओं के दिलों में एक अलग मक़ाम बना लिया..
देश के बच्चो से था प्यार मुझे,
मै चाहता था इस देश के युवाओं को कुछ और सिखाना..
इसी को मैंने अपना लक्ष्य बना लिया,
माफ़ करना मेरे देशवासियों मै मजबूर था..
मुझे जिसने भेजा था उसी ने अपने पास बुला लिया,
मेरे रहते हुए भी और मेरे बाद भी आपका प्यार बहुत मिला..
जिसने सबके दिलों में मुझे अपना बना लिया,
मेरे देश हिन्दोस्तान में मैंने अपना एक अलग मक़ाम बना लिया..
उनके जन्म के समय किसी को पता भी नहीं होगा कि ये छोटा बच्चा एक दिन पूरे संसार के वासियों के दिलो में अपना एक मक़ाम बनाकर छोड़ जायेगा. भारत के मिसाईल मैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ. इनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे. इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे. अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए. पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था. इतने बड़े परिवार में शिक्षा ग्रहण करना कलाम साहब के लिए आसान नहीं था. जैसा की पहले ही उनके पिता से प्रभावित थे उहोने अपने पिता की तरह अपने छात्रजीवन से ही कड़ी मेहनत शुरू कर दी थी. स्कूल की पढाई के दौरान ही अब्दुल कलाम ने अखबार बाटना शुरू किया ताकि उनकी पढाई के लिए और घर में कुछ आर्थिक मदद मिल जाए. इसी के साथ उन्होंने पढाई जारी रखी.
अब्दुल कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से अन्तरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसन्धान संसथान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन में आये जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया । कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। अब्दुल कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा देश के हित में दिए योगदान को देखते हुए भारतीय जनता ने उनको देश का 11 वें राष्ट्रपति के रूप में चुना. यही से उनका राजनैतिक कैरियर शुरू हुआ. इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। देशवासियों के बीच डॉ. कलम ने एक अहम जगह बना ली थी. आम जनता से लेकर नेता, अभिनेता हर कोई दिल से उनका सम्मान करता था. इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक इंडिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। वह भारत को अन्तरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते थे।
राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा होने के बाद :
राष्ट्रपति कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम साहब भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए . भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया.
मई 2012 में, कलाम ने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम, भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ, "मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ" का शुभारंभ किया। उन्होंने यहाँ तमिल कविता लिखने और वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यन्त्र को बजाने का भी आनंद लिया। इन्हें एक समर्थ परमाणु वैज्ञानिक होने के लिए जाना जाता है पर संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में इनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आश्वासनों से नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंध संस्थान शिल्लोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े। . लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिल्लोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं.
कलाम अक्टूबर 2015 में 84 साल के होने वाले थे। अब्दुल कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के पश्चात देश में 7 दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया गया. मृत्यु के पश्चात उनके चाहने वालों तरह तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर शोक प्रकट किया था. उनकी अंतिम यात्रा में 3, 50000 लोग शामिल हुए थे.
प्रतिक्रियाए :
कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए। भारत सरकार ने कलाम को सम्मान देने के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, "उनका (कलाम का) निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वह भारत को महान ऊंचाइयों पर ले गए। उन्होंने हमें मार्ग दिखाया।" पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिन्होंने कलाम के साथ प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की थी . ने कहा, "उनकी मृत्यु के साथ हमारे देश ने एक महान मनुष्य को खोया है जिसने, हमारे देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। मैंने प्रधानमंत्री के रूप में कलाम के साथ बहुत निकटता से काम किया है। मुझे हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप में उनकी सलाह से लाभ हुआ। उनका जीवन और काम आने वाली पीढ़ियों तक याद किया जाएगा।
दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को "एक अपूरणीय क्षति" बुला, अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा, "अनेक वर्षों में, मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं, बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे, और हमेशा मैंने उनकी सादगी और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया, लेकिन विज्ञान, अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन किया जाता था।"
दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत राजनेता की सराहना की। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए। भूटान के प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री शेरिंग तोबे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, " वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।"
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी व्याख्या करते हुए कहा, "एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग" उन्होंने कलाम की मृत्यु को "भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी परे बताया।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी , ने कलाम को, "लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया" ये नोट करते हुए "हमे अपने जीवन से बहुत कुछ सीखना है।" नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। "नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है।" पाकिस्तान के राष्ट्रपति , ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला श्रीसेना ने कहा, "कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।
अब्दुल कलम के विषय में 12 ऐसी बातें जो आप शायद नहीं जानते हो
- डॉ. अब्दुल कलाम अनुशासन के पक्के थे.
- उन्होंने धर्मवाद को छोड़कर इंसानियत और मानवता को अपनाया वो गीता और कुरआन दोनों का अध्ययन करते थे.
- डॉ.अब्दुल कलम पूरी तरह से शाकाहारी थे.
- डॉ. अब्दुल कलाम साहब एक वैज्ञानिक होने के अलावा राजनेता और लेखक भी थे उन्होंने कई पुस्तके लिखी.
- वो भारतीय एयर फाॅर्स में एक फाइटर जेट पायलट बनना चाहते थे. उन्होंने इसका एग्जाम भी दिया जिसमें उनको 9वी पोजीशन मिली लेकिन इंडियन एयर फाॅर्स में सिर्फ 8 का ही चुनाव होना था जिस कारण डॉ. कलाम रह गए.
- डॉ. अब्दुल कलाम भारत सरकार में कैबिनेट सुरक्षा मंत्री के सलाहकार भी नियुक्त किए गए.
- राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद वें कई भारतीय उचक संस्थानों में बतौर प्रोफेसर अपने लेक्चर दे चुके थे.
- जिस दिन डॉ. कलाम स्विट्ज़रलैंड गए उस दिन को वहां ससाइंस डे के रूप में मनाया जाता है.
- डॉ.कलाम के पिता मछुआरों की किराये पर नाव देते थे. इस दौरान डॉ. कलम अपने पिता से बहुत प्रतीत हुए
- उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपना पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित कर दिया
- डॉ. अब्दुल कलाम 2020 तक भारत को सुपरपॉवर देश के रूप में देखना चाहते थे.
- साल 2003 और 2006 में उनको एमटीवी यूथ आइकॉन ऑफ़ थे इयर के लिए नामांकित किया गया था.
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