हमारे देश के वनों में कई तरह के दुर्लभ पौधों एवं जड़ी-बूटयों के भंडार हैं. राजस्थान का हाड़ौती वन भी ऐसे ही दुर्लभ पौधों एवं जड़ी बूटियों से भरा हुआ है. यहां पर पाए जाने वाले पौधें कैंसर, हार्टअटैक जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायक हैं. इतना ही नहीं इनका प्रयोग ऑटोइम्यून डिजीज, डायबिटीज, एलर्जी, ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों में भी किया जाता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक रिसर्च में पता लगा है कि हड़ौती के जंगलों में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियां एंटी ऑक्साइड गुणों से भरी हुई है, जो शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है.
यहां पाए जाने वाले पौधों से शरीर को विभिन्न समस्याओं जैसे श्वास, पाचन आदि से छुटकारा मिल सकता है.
फ्लोरीस्टिक टेबल की हो रही है तैयारी
शोधकर्ताओं के मुताबिक यहां पाए जाने वाले पौधों को कोटा, बूंदी, बारां और झालवाड़ के पाए जाने वाले सघन वनों में भी तैयार किया जा रहा है. इस लिस्ट में 240 से अधिक औषधीय पौधों का नाम शामिल कया गया है, जिन्हें फ्लोरीस्टिक किया जाना है.
पेंटेट की भी हो रही है तैयारी
इन पौधों पर प्रभावी शोध के बाद अब इन्हें पेटेंट करना का काम भी चालू है. विशेषज्ञों के मुताबिक इन पौधों से एक बेहद ही प्रभावी दर्द निवारक बाम को तैयार किया जा रहा है.
क्या होगा पेटेंट से फायदा
पेटेंट के सहारे इन पौधों की सुरक्षा आसान हो जाएगी और किसी भी निश्चित अवधि के लिए इनसे नए आविष्कार किए जा सकेंगें. इसके अलावा इनका उपयोग बेचने या नए उत्पादों के निर्माण में भी किया सकेगा.
वर्तमान में इन औषधीय पौधों के सहारे कई तरह के विभिन्न रोगों का उपचार किया जा रहा है. शोधकर्ताओं को आशा है कि आने वाले समय में कई गंभीर बीमारियों में भी इनका उपयोग सार्थक साबित हो पाएगा.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस वन में ब्राम्ही, दूधिया घास, मीठा घास, दूब घास, अंकोल और अजमोद मौजूद हैं. इसके अलावा यहां अजवायन, अनानास, अरंडी, अरबी सब्जी भी है. वन के कुछ क्षेत्रों में अश्वगंधा भी पाया गया है.
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