1. Home
  2. औषधीय फसलें

कोंच की फसल पर एनएमपीबी दे रहा है 30 फीसद अनुदान, ऐसे करें उन्नत खेती

कोंच एक औषधीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम मुकुना प्रूरिएंस है. यह फाबेसी परिवार से संबंधित है और भारत के मैदानी इलाकों में झड़ियों के रूप में पायी जाती है. इसकी पत्तियां नीचे की ओर झुकी होती हैं. जबकि इसके डंठल भूरे रेशमी रंग के 6.3 से 11.3 सेंटीमीटर तक के लगभग हो सकते हैं. ये पौधा इतना लाभकारी है कि इसका हर भाग किसी ना किसी रूप में औषधी की तरह उपयोग होता है. इसकी खेती पर एनएमपीबी द्वारा 30 फीसद अनुदान दिया जा रहा है. चलिए आपको इस पौधे की उत्तम खेती के बारे में बताते हैं.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार

कोंच एक औषधीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम मुकुना प्रूरिएंस है. यह फाबेसी परिवार से संबंधित है और भारत के मैदानी इलाकों में झड़ियों के रूप में पायी जाती है. इसकी पत्तियां नीचे की ओर झुकी होती हैं. जबकि इसके डंठल भूरे रेशमी रंग के 6.3 से 11.3 सेंटीमीटर तक के लगभग हो सकते हैं. ये पौधा इतना लाभकारी है कि इसका हर भाग किसी ना किसी रूप में औषधी की तरह उपयोग होता है. इसकी खेती पर एनएमपीबी द्वारा 30 फीसद अनुदान दिया जा रहा है. चलिए आपको इस पौधे की उत्तम खेती के बारे में बताते हैं.

जलवायु और भूमि

वैसे तो इस पौधे को हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन, यदि मिट्टी रेतीली या चिकनी हो तो ये अधिक नालीदार ढंग से तैयार होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस पौधे के लिए उप-उष्ष कटिबंधीय और उष्ण कटिबंधीय जलवायु अनुकूल होती है. पौधे के लिए तापमान का सर्दियों में 15 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में 38 डिग्री सेल्सियस तक होना उत्तम है.

नर्सरी की तैयारी

इसकी खेती बीजों को सीधे खेतों में बोकर की जाती है. हालांकि बीजों को बोने से पहले कवकरोधी उपचार करना जरूरी है. ये उपचार इन्हें भूमिगत बीमारियों से बचाता है.

konch

ऐसे उगाएं फसल

खेतों को पहले अच्छे से जोतते हुए उसे भुरभुरा बना ले. भुरभुरे खेतों में बीज अंकुरित होकर बाहर आसानी से निकल जाते हैं. जमीन तैयार करते समय मिट्टी में प्रति हेक्टर 10 से 20 टन उर्वरक मिलाएं.

इस समय लगाएं पौधा

बरसात के मौसम से ठीक पहले इसके बोने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दें. आप चाहें तो इन्हें बांस की छड़ियों का सहारा देकर आसानी से आगे बढ़ा सकते हैं.

पौधों में रखे इतना अंतर

पौधों में परस्पर 1.0 X 0.75 या 1.0 X 0.6 सेमी. का अंतर रखें. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 2.5 से 3.0 टन तक हो जाती है.

सिंचाई

शुष्क मौसम में समय पर और सर्दियों में फलियां तोड़ते समय सिंचाई करें.

फसल कटाई एवं प्रबंधन

बुआई के लगभग 140 दिनों बाद इसकी फसल पक जाती है और फलियां मटमैली व भूरे रंग में तब्दील हो जाती हैं. प्रत्येक पौधे से लगभग 25 से 30 गुच्छे निकाले जाते हैं. निकाली गई फलियों को 4 से 7 दिनों तक धूप में सुखाएं. यदि खेती बड़े पैमाने पर की गई हो तो प्रति हेक्टेयर उपज 2.5 से 3.0 टन की दर पर होने की संभावना होती है.


 

अनुमानित लागत

देय सहायता

पौधशाला

 

 

पौध रोपण सामग्री का उत्पादन

 

 

क) सार्वजनिक क्षेत्र

 

 

1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर )

 25 लाख रूपए

अधिकतम 25 लाख रूपए

2) लघु पौधशाला  (1 हेक्टेयर )

6.25 लाख रूपए

अधिकतम 6.25 लाख रूपए

ख) निजी क्षेत्र (प्रारम्भ में प्रयोगिक आधार पर )

 

 

1) आदर्श पौधशाला  (4 हेक्टेयर)

25 लाख रूपए

लागत का 50 प्रतिशत परंतु 12.50 लाख रूपए तक सीमित                         

2) लघु पौधशाला  (1 हेक्टेयर )

6.25 लाख रूपए

लागत का 50 प्रतिशत परंतु 3.125 लाख रूपए तक सीमित

English Summary: national medicinal plant board give 30 percent subsidy on farming of mucuna pruriens know more about mucuna pruriens plants Published on: 12 November 2019, 05:20 IST

Like this article?

Hey! I am सिप्पू कुमार. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News