ऐसी कई बीमारियां हैं, जिसके उपचार ढूंढने के लिए वैज्ञानिक आज भी कोशिश में लगे रहतीं हैं. इन्हीं में से एक लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर बीमारी भी है. जो आज के समय में बहुत ही तेजी से फैल रही है. इस खतरनाक बीमारी को रोकने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं ने कुटकी (Picrorhiza Kurroa) पौधे से 'पिक्रोलिव' नामक एक नई दवा का आविष्कार किया है.
जिसकी सहायता से फैटी लीवर रोगियों का इलाज करने में बेहद मदद मिलेगी. इस विशेष में वैज्ञानिकों का कहना है कि 'पिक्रोलिव' की सहायता से लीवर में वसा की मात्रा और उसकी जटिलताओं को कम करता है.
आपको बता दें कि इस दवा का आविष्कार लखनऊ में स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) प्रयोगशाला में बनाई गई है. फिलहाल इस दवा पर अभी भी परीक्षण जारी है.
उधर, वहीं इस नई दवा को लेकर संस्थान के निदेशक डॉ. डी. श्रीनिवास रेड्डी का कहना है कि, "सीएसआईआर-सीडीआरआई को गैर-अल्कोहोलिक फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) से परेशान चल रहे व्यक्तियों में पिक्रोलिव' के तृतीय चरण के इसके परीक्षण की अनुमति मिल गई है." जानकारी के मुताबिक इस दवा का परीक्षण लखनऊ समेत 6 अन्य बड़े अस्पतालों में भी परीक्षण किया जाएगा.
मोटे और मधुमेह से पीड़ित लोगों को ज्यादा खतरा
वहीं, सीएसआईआर-सीडीआरआई के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. विवेक भोसले का कहना है कि यह खतरनाक बीमारी मोटे और मधुमेह से पीड़ित लोगों में ज्यादातर देखने को मिलती है. इस बीमारी का कोई खास लक्षण बाहर देखने को नहीं मिलता है. जिस कारण से इसे एक साइलेंट किलर बीमारी भी कहा जा सकता है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि इस बीमारी के कारण लोगों के पेट में दर्द और शरीर में थकान व कमजोरी होना शुरू हो जाती है. कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि इसे लीवर भी बड़ा हो जाता है.
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परीक्षण के वक्त इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को लगभग 6 महीनों तक दिन में 2 बार पिक्रोलिव की 100 मि.ग्रा कैप्सूल दिया जाएगा और साथ ही उनका लावर एंजाइम, भूख और जीवन की गुणवत्ता को जांचा जाएगा. इसके बाद इस दवा का तीसरा चरण शुरू होगा, जिसमें सफल होने के बाद इसे बाजार में व्यापक उपयोग के लिए उपलब्ध होगी.
क्या है पिक्रोराइज़ा कुरूआ
यह एक छोटा व हर साल उगये वाली जड़ी-बूटी वाला पौधा है. जो अधिकतर उत्तर पश्चिम भारत के हिमाचल की खतरनाक पहाड़ों पर लगभग 3000 से 5000 मीटर तक के बीच में पाया जाता है. इसके अलावा इसकी खेती चंबा और शिमला जिले में रहने वाले किसानों के खेतों में की जाने वाली एक बेहतरीन योजना है.