लसी एक ऐसा औषधीय पौधा है, जो हर घर में पाया जाता हैं। इस औषधीय पौधे को बेसिल नाम से भी जाना जाता हैं। इस पौधे की मांग ज़्यादातर दवाई बनाने के लिए की जाती हैं। इसके अलावा इस पौधे का इस्तेमाल हर घर में किया जाता हैं। वर्षा ऋतु के समय लोग तुलसी की चाय का लुफ़्त उठाना बेहद पसंद करते हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण यह पौधा हर घर में पाया जाता हैं। इसका पौधा भारत के लगभग सभी क्षेत्रों की जलवायु परिस्थिति में उगाया जाता हैं। भारत के उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और पश्चिमी बंगाल जैसे कुछ राज्यों में तुलसी की खेती व्यावसायिक तौर पर की जाती है।
तुलसी की खेती का सही समय
तुलसी के पौधे को खेतो में जुलाई के पहले हफ्ते में लगाया जाता है। पौधे को 45 गुणा 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। RRLOC 12 और RRLOC 14 किस्म के पौधे 50 गुणा 50 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। तुलसी की रोपाई के लिए केवल स्वस्थ पौधे का चुनाव करना चाहिए | ताकि पैदावार अच्छी हो |
खाद और उर्वरक का प्रयोग
तुलसी की अच्छी वृद्धि और उपज के लिए इसकी फसल में खाद और उर्वरक का उपयोग करना चाहिए | इसके लिए 200 से 250 किवंटल अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद को पहली जुताई के समय खेत में बराबर मात्रा में बिखेर दें | इसके बाद ही खेत की जुताई करें ताकि खाद अच्छी तरह से मिटटी में मिल जाये| इसके आलावा तुलसी की बुआई करते समय 50 किलो गोबर की खाद में 1 किलोग्राम ट्राईकोडरमा मिलाकर खेत में बिखेर दें और बुआई करें | ऐसा करने से हमे तुलसी की अच्छी फसल और अधिक उपज की प्राप्ति होती है |
सिंचाई
पौध रोपण के तुरंत बाद ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए | फसल में नियमित रूप से सिंचाई करना आवश्यक होता है। गर्मी के मौसम में अधिक गर्मी होने के कारण भी एक महीने में कम से कम दो बार सिंचाई अवश्य करें | फसल तैयार होने के बाद और फसल कटने से पहले कम से कम 10 दिन पहले फसलों में सिंचाई करना बंद कर दें | ताकि फसल को आसानी से काटा जा सके | फसल की कटाई के तुरंत बाद ही खेत में अच्छी तरह से सिंचाई कर दें |
कटाई
तुलसी की कटाई किस समय करनी चाहिए यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। क्योकि पौधे की कटाई उसके तेल की मात्रा पर प्रभाव डालती है | तुलसी की फसल की कटाई, पौधे की पत्तियों के हरे रंग की होने पर करनी चाहिए। जिससे फसल की कटाई में कोई दिक्कत न आए। तुलसी की कटाई सही समय पर करनी चाहिए क्योंकि इसका असर तेल की मात्रा पर पड़ता है। इसके अलावा पौधे पर फूल आने की वजह से यूनीनोल और तेल मात्रा कम हो जाती है। इसलिए जैसे ही पौधे पर फूल आना शुरू हो जाए, तभी कटाई शुरु कर देनी चाहिए। कटाई करते समय फसल को भूमि की सतह से 15 से 20 मीटर की ऊंचाई से करनी चाहिए | ऐसा करने पर पौधे में नई शाखाएं जल्दी ही निकल जाती है |
लागत और कमाई
यदि 10 बीघा जमीन पर तुलसी की खेती करें, तो लगभग 10 किलो बीज की जरूरत होगी। जिसकी कीमत 3 हजार रुपए के लगभग होती है। 10 हजार रुपए खाद और दो हजार रु. बाकी का खर्चे । एक सीजन में करीब 8 कुंटल पैदावार होती है। नीमच मंडी में 30 से 40 हजार रुपए प्रति कुंटल के भाव तुलसी के बीज बिक जाते हैं। इससे किसान को लाखो का फायदा होता है.
तुलसी का इस्तेमाल
तुलसी के इस्तेमाल बालों और त्वचा की बीमारियों से लड़ने में मदद करता हैं।
खासी, जुखाम जैसे बीमारियां तुलसी उपयोग से ठीक हो जाती हैं।
इससे साबुन, शैम्पू और कॉस्मैटिक भी बनाए जाते है जो आज कल लोग ज़्यादा पसंद करते हैं।
डेंगू और मलेरिया जैसी हर साल फैलने वाली बिमारियों से बचाने में भी इसी से बनी दवा का इस्तेमाल होता है।
कान के दर्द के लिए तुलसी से बानी दवाइयों का ही उपयोग किया जाता हैं।
Share your comments