बरसात का मौसम आने वाला है, ऐसे में अगर आप चाहें तो बकैन की खेती कर सकते हैं. दिखने में लगभग नीम जैसा प्रतीत होने वाला बकैन सेहत के साथ-साथ व्यापारिक दृष्टि से भी फायदेमंद है. इसकी जड़ों, छालों, फलों,बीजों, फूलों एवं गोंद का उपयोग नाना प्रकार की दवाईयों को बनाने में होता है. इतना ही नहीं इसके ताज़े और सूखे पत्तों को खांसी, संक्रमण, मरोड़, जले-कटे आदि के उपचार के लिए जाना जाता है. जिस कारण चिकित्सा जगत में इसकी भारी मांग है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.
मिट्टी
इसकी खेती के लिए लगभग हर तरह की मिट्टी उपयुक्त है. हालांकि इसके विकास में उपजाऊ दोमट मिट्टी सहायक है.
खेती की तैयारी
इसकी खेती से पहले जमीन की दो से तीन बार तिरछी जोताई जरूरी है. मिट्टी के भूरभूरे होने तक जोताई करें और उन्हें समतल कर लें. ध्यान रहे कि खेत की तैयारी में जल के निकास का प्रबंध किया गया हो.
बिजाई
इसकी बिजाई के लिए बरसात का महीना सबसे उपयुक्त है. मॉनसून के समय बोयें गए बीजों से आधी बसंत के बाद जामुनी रंग के फूल निकलने प्रारंभ हो जाते हैं. बिजाई के समय पौधों में 9-12 मीटर तक का अंतर रखें एवं बीजों को 8 सैं.मी की गहराई में बोयें.
खाद एवं खरपतवार नियंत्रण
इस फसल को प्राय किसी खाद की जरूरत नहीं होती, लेकिन मिट्टी की जरूरतों को देखते हुए आप जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं. खरपतवारों को दूर करने के लिए मल्चिंग करना सबसे बेहतर है.
सिंचाई
गर्मियों में सिंचाई 2 सप्ताह के अंतर पर होनी चाहिए, जबकि सर्दियों में हर दिन 20 लीटर चपला सिंचाई कर सकते हैं. मानसून के मौसम में खास सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. फूलों के निकलने के समय सिंचाई करना सही नहीं है.
फसल की कटाई
इसकी पत्तियों, फूलों, फलों एवं छालों की कटाई-तुड़ाई के लिए तेज धारदार वस्तु का उपयोग करें.
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