कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाना है तो आप आयुर्वेदिक पौधों की खेती कर सकते हैं. बढ़ती हुई दवाओं की मांग के कारण इस खेती में मुनाफे की संभावनाएं अधिक है. उदाहरण के लिए एलोवरेा की बात करें दवाओं और सेहत संबंधी अन्य तरह के उत्पादों को बनाने में इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है. त्वचा की कई समस्याओं के उपचार के लिए भी इसका उपयोग होने लगा है, जिस कारण किसानों को अच्छा फायदा हो रहा है. चलिए आज हम आपको इस पौधें के बारे में बताते हैं.
कम लागत में अधिक मुनाफा
एलोवेरा की फसल उगाने में प्रति एकड़ लगभग 15 हजार रुपए की लागत आ जाती है. आम तौर पर एक एकड़ में प्रति फसल लगभग चार सौ क्विंटल एलोवेरा की उपज हो जाती है, जिसे मार्केट में बड़ी आसानी से ढाई सौ रुपए प्रति क्विंटल की औसत दर पर बेचा जा सकता है.एलोवेरा फसल की एक खास बात और है कि ये एक बार लगाने के बाद चार वर्षों तक उत्पादन देते हैं. इसकी खेती भी आम तौर पर जौविक तरह से ही की जाती है. सत्य तो यही है कि सिंचाई के अलावा इस पर किसी और तरह का विशेष खर्चा नहीं है.
जानवरों से कोई खतरा नहीं
एलोवेरा की खेती को जानवरों से कोई खतरा नहीं होता है, इसलिए इनकी सुरक्षा पर अधिक खर्चा नहीं आता. जानवर इन्हें नष्ट नहीं करते हैं, जिससे निगरानी की समस्या दूर हो जाती है. सबसे खास बात है कि इसकी उपज आम तौर पर पहले ही तय हो जाती है, जिस कारण बाजार की तेजी और मंदी के जोखिम का खतरा भी नहीं होता है.
एलोवेरा से फायदा
बढ़ती उम्र के लक्षण चेहरे पर नजर आने लगे, तो एलोवेरा का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए. किसी भी तरह के दाग-धब्बों को खत्म करने, पिंपल्स को कम करने या जल-कट जाने पर एलोवेरा का उपयोग फायदेमंद है.अगर आपके चेहरे पर रिंकल्स की समस्या है तो एलोवेरा का उपयोग करें. एलोवेरा में एंटी-माइक्रोबियल के गुण भी पाए जाते हैं. इसलिए कील-मंहासों को समाप्त करने में इसका अच्छा योगदान है.
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