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छत पर खेती करना ही समय की मांग है...

दिन प्रतिदिन शहरीकरण बढ़ने के कारण कृषि योग्य भूमि पर दबाब बढ़ता जा रहा है क्योंकि बहुमंजिला इमारतों और औधोगिक इकाइयां बढ़ी तेजी से स्थापित हो रही है। इस प्रकार की गतिविधियों के कारण हरियाली कम होती जा रही है और इस हरियाली की जगह कंकरीट के जगंलो ने ले ली है।

दिन प्रतिदिन शहरीकरण बढ़ने के कारण कृषि योग्य भूमि पर दबाब बढ़ता जा रहा है क्योंकि बहुमंजिला इमारतों और औधोगिक इकाइयां बढ़ी तेजी से स्थापित हो रही है। इस प्रकार की गतिविधियों के कारण हरियाली कम होती जा रही है और इस हरियाली की जगह कंकरीट के जगंलो ने ले ली है। इस कारण से शहरों में एक नई विपत्ति आ गई है जिसे ‘‘अर्बन हीट आयलैण्ड’’ प्रभाव कहा जाता है। जो कि दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से निर्माण की गई इमारतों का तापमान अपने आस पास के वातावरण की अपेक्षा अधिक गर्म रहता है।

छत के ऊपर की जाने वाली बागवानी को ‘‘टेरिस गार्डनिंग’’ या ‘‘रुफ टॉप गार्डनिंग’’ भी कहा जाता है। ऊर्जा संरक्षण में भी इस प्रकार की बागवानी की अहम भूमिका है क्योंकि इस प्रकार की बागवानी करने से इमारतो के अंदर तापमान कम रहता है और इस प्रकार एसी या कूलर कम चलाना पड़ता है। इसके अलावा परम्परागत तौर पर इसके द्वारा आकाश एवं छत का सौदंर्यकरण होता है। बरसात के पानी को रोकना एवं पानी के बहाव को धीरे करने में भी इसकी अहम भूमिका है।

आज शहरीकरण की दौड़ में सोसाइटी से गार्डन लुप्त होते जा रहे है और जमीने की कीमते बढ़ती जा रही है ऐसे में शहरी लोगों के लिए एक ही पर्याय बचता है और वह है ‘‘टेरिस गार्डन’’।

टेरिस गार्डनिंग स्वास्थ्य की दृष्टि से एक अच्छा शौक है। आज के समय में मोटापा एवं अवसाद दो महत्वपूर्ण बिमारियां है। जिससे ज्यादातर लोग प्रभावित हो रहें है। ऐसे में टेरेस गार्डन न केवल व्यक्ति को सप्ताह भर कुछ घण्टो के लिए व्यस्त रखता है बल्कि प्रकृति की गोद में होने का भी अद्भूत अहसास दिलाता है। खास तौर से गृहणियों को दैनिक कार्यो के बीच चैन की सांस भी दिलाता है और अपने द्वारा लगाई गई सब्जियों, फूलों एवं फलों की खेती के बीच एक राहत भरी मुस्कराहट भी प्रदान करता है। साथ ही घर में लगने वाली दैनिक जरूरतों जैसे सब्जियाँ, फल एवं फूल भी प्रदान करता है।

शहरी लोगों का सपनाः- सब्जियों के दाम हमेशा ऊँचे रहते है कभी कम बरसात होने की वजह से तो कभी ज्यादा बरसात होने की वजह से। साथ ही स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के मन में कही ना कही यह डर हमेशा सताता रहता है कि उसमें कहीं रसायनिक किटनाशकों का अंश तो नहीं है। काश ऐसा होता की छत पर ही सब्जियाँ लगी होती और जब मन किया सब्जियाँ, मसाले इत्यादि तोड़े और स्वादिष्ट व्यजंन तैयार कर लिये।

बड़े शहरों में बहुत कम ही ऐसे खुशनसीब लोग होते है जिनके घर के पीछे किचन गार्डन लगाने की खाली जमीन होती है। पर ज्यादातर लोगों के पास छत जरूर होती है। ऐसे में ‘‘टेरेस गार्डनिंग’’ कर शहरी लोग अपना सपना सच कर सकते है। पर इसके लिए प्लानिंग करना नितांत आवश्यक है। इसके लिए विभिन्न कारकों को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है जैसे परिवार में व्यक्तियों की संख्या, छत पर उपलब्ध कुल खाली जगह इत्यादि। साथ ही यह भी आवश्यक है कि जो लोग टेरेस गार्डनिंग करना चाहते है वह अपने घर को बनाते वक्त अपने घर की छत मजबूत बनाये और जिनके घर पहले से बने हुए है वह पौधे लगाने के लिए कम वजन वाली वस्तुओ का प्रयोग करें।

‘‘एक ऐसी छत जो कि आंशिक रुप से या पूर्ण रुप से पौधों से ढकी हुई हो और पौधों को पानी देने के लिए सिचाई तंत्र लगा हो ऐसे गार्डन ग्रीन रुफ या टॉप रुफ गार्डन या बरसाती गार्डन इत्यादि नाम से जाने जाते है।’’

इस प्रकार की गार्डनिंग करके शहरी बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना विकसित की जा सकती है। साथ ही इसके द्वारा वह जैविक विज्ञान सम्बन्धित पाठ्यक्रम के बारे में प्रायोगिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

टेरेस गार्डनिंग के अहम गुर:

1- गमलो का प्रकार:- 24 इंच चैड़ा कटोरी नुमा गमले का प्रयोग गर्मियों (ग्रीष्म ऋतु) में सब्जियाँ लगाने के लिए काम में लिया जा सकता है। गमले के नीचे पानी के निकास के छेद होना बेहद आवश्यक है।

बसंत ऋतु में हरी सब्जियाँ, मटर, बींस, गाजर,  हरी गोभी (ब्रोकली) इत्यादि लगाने के लिए 6 इंच ग 48 इंच आकार वाले चैकोर गमले इत्यादि उचित रहते है।

गमलो का चयन करते समय यह नितांत आवश्यक है कि प्रत्येक गमले के साथ एक ड्रेन पेन हो ताकि छत पर पानी इक्कठा ना हो और ना ही शैवाल जमें।

  1. गमलों को रखने का तरीका:- गमलों को पूर्ण-पश्चिम दिशा में कतार में रखना चाहिए ताकि प्रत्येक पौधे को भरपूर सूर्य की किरणें मिल सके। जिन गमलों में बड़े पेड़ लगे हो उन्हे छत की उŸारी दिशा में रखना चाहिए ताकि उनकी छाया छोटे पौधो पर ना पड़े।

दो गमलों की कतार के बीच में थोड़ी जगह छोड़नी चाहिए ताकि उत्पादक उसमें पानी एवं घास निकालने के लिए आ जा सके।

बड़े फलों के पौधे लगाने के लिए बड़े प्लास्टिक या लोहे के डिब्बों का या सीमेंट के बड़े गमलो या प्लास्टिक की बड़ी थैलियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

  1. जगह का चुनाव:- छत का वह हिस्सा जहां 6 से 8 घण्टे दिन में सूर्य की किरणे आती हो एवं दोपहर के समय छाया रहती है। ऐसी जगह टेरेस गार्डनिंग के लिए उपयुक्त है।
  2. सब्जियों का चुनाव:-

(क) हरी सब्जियाँ:- धनिया, पालक, सौंफ, लेटयूस

(ख) बेल वाली सब्जियाँ:- कद्दू, तरोई, करेला, लौकी, ककड़ी, खीरा, खरबूजा, तरबूजा इत्यादि।

(ग) जड़ वाली सब्जियाँ:- गाजर, मूली, चकूंदर, प्याज, लहसून, अदरक।

(घ) अन्य सब्जियाँ पत्ता गोभी, फूल गोभी, मिर्ची, शिमला मिर्च, टमाटर, बैंगन, भिण्डी।

(ड़) फलों के पौधे:- आम, संतरा, अनार, मौसमी, सीता फल, अमरुद्ध, केला।

(च) मसाले के पौधे:- काली मीर्च, लौंग, पान।

(छ) फूलो के पौधे:- गेंदा, जासवंती, मोगरा, रातरानी, गुलाब।

  1. सिचांई तंत्र:- झारे द्वारा सिचांई करने में सबसे ज्यादा समय व्यतीत होता है। सिचांई करना आवश्यक भी है अन्यथा गर्मियों में पौधे सूर्य की गर्मी से मुरझा जायेगे। साथ ही सभी पौधों की जड़ो को प्लास्टिक मल्च से ढ़का जाना चाहिए। ताकि नमी ज्यादा समय तक बनी रहे एवं जंगली घास भी ना उग सके। पाईप के आगे फव्वारा लगाकर सिचांई की जा सकती है परन्तु ड्रीप सिंचाई प्रणाली ज्यादा उपयुक्त रहती है। आप चाहे तो आटोमेटिक टाईमर एवं सेसंर का प्रयोग भी अपनी सुविधा एवं बजट के हिसाब से लगाकर सिंचाई प्रणाली को ज्यादा कारगार बना सकते हैं।

आमतौर पर आवासीय निर्माण परियोजना जिसमें ज्यादा से ज्यादा टेरेस गार्डन बनाने की जगह हो ऐसे में टेरेस गार्डन बनाने का खर्च लगभग 1 प्रतिशत कुल निर्माण पर होने वाले कुल खर्च से भी कम आता है। लगभग 400 वर्ग मीटर का टेरेस गार्डन बनाने में कम से कम एक माह लगता है। पौधे लगाने में 2-3 माह का समय लगता है।

सन् 2030 तक लोगों की जनसंख्या शहरों में 60 प्रतिशत तक हो जायेगी। ऐसे में सब्जियों की मांग ओर बढ़ेगी। अतः प्रत्येक शहरी व्यक्ति को छत पर खेती करनी चाहिए। यह मायने नहीं रखती हैं कि आपकी छत कितनी बड़ी या छोटी है। अंत में सभी की छतों पर सुन्दर टेरेस गार्डन होना चाहिए। खर्च भी ज्यादा नहीं है और गार्डनिंग के लिए मात्र दो घण्टे प्रतिदिन चाहिए। अतः ‘‘टेरेस गार्डनिंग करे एवं शहरी जिन्दगी का मजा, ग्रामीण तरीके से ले।’’

राजेश कुमार सैनी

(उधान सलाहकार - टेरेस गार्डनिंग)

 

 

 

English Summary: Terence garden Published on: 23 April 2018, 01:48 IST

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