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सब्जी को स्वस्थ रखने की वैज्ञानिक तकनीक

पौधशाला या रोपणी अथवा नर्सरी एक ऐसा स्थान है जहां पर बीज अथवा पौधे के अन्य भागों से नए पौधों को तैयार करने के लिए उचित प्रबंध किया जाता है। पौधशाला का क्षेत्र सीमित होने के कारण देखभाल करना आसान एवं सस्ता होता है। अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्ण सब्जी हेतु पौधशाला (नर्सरी) का महत्वपूर्ण स्थान है। रोपण हेतु पौधे पौधशाला से ही प्राप्त होते हैं। पौधशाला में स्वस्थ पौध तैयार करने हेतु पौधशाला की तैयारी, देखभाल, खाद और पानी आदि का विशेष ध्यान देना चाहिए”।

पौधशाला या रोपणी अथवा नर्सरी एक ऐसा स्थान है जहां पर बीज अथवा पौधे के अन्य भागों से नए पौधों को तैयार करने के लिए उचित प्रबंध किया जाता है। पौधशाला का क्षेत्र सीमित होने के कारण देखभाल करना आसान एवं सस्ता होता है। अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्ण सब्जी हेतु पौधशाला (नर्सरी) का महत्वपूर्ण स्थान है। रोपण हेतु पौधे पौधशाला से ही प्राप्त होते हैं। पौधशाला में स्वस्थ पौध तैयार करने हेतु पौधशाला की तैयारी, देखभाल, खाद और पानी आदि का विशेष ध्यान देना चाहिए”।

स्थान का चुनाव:

पौधशाला हेतु ऐसे स्थान का चयन करना चाहिए जहां पर्याप्त मात्रा में प्रकाश उपलब्ध होता रहे, सिंचाई की सुविधा तथा पानी के निकास की समुचित व्यवस्था उपलव्ध हो एवं उस स्थान में आवागमन की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए।

भूमि:

पौधशाला के लिए जीवांश युक्त दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. मान 6 से 7.5 हो उपयुक्त मानी जाती है। अधिक बलुई मिट्टी में पौधा खोदते समय अच्छी पिण्डी नहीं बन पाती तथा भारी चिकनी भूमि में वायु की कमी के कारण पौधे की वृद्धि अच्छी नहीं होती। पौधशाला हेतु चयनित स्थान से सभी वृक्षों एवं झाड़ियों को साफ कर भूमि की अच्छी प्रकार खुदाई करके सभी जड़े निकाल दें। पूरे पौधशाला क्षेत्र की गहरी जुताई कर गर्मी में खुला छोड़ दें ताकि सभी कीड़े नष्ट हो जाएं।

पानी की व्यवस्था :

पौधशाला में सिंचाई हेतु पानी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। सिंचाई वाला पानी खारा नहीं होना चाहिए, वर्षांत का पानी सिंचाई हेतु सबसे अच्छा है। अतः वर्षांत के पानी को इकट्ठा कर लिया जाए जिसके लिए एक सीमेंट का गड्ढ़ा खोद लिया जाए और उस गड्ढ़ो से पाईप लाइन द्वारा पानी को पौधशाला के सभी भागों में पहुचाने की व्यवस्था कर सकते हैं।

पौधशाला के प्रमुख अंग:

फल, वृक्षों एवं सब्जी की पौधशाला के मुख्य अंगो में सामान्यतः बीज क्यारी, पौध क्यारी, गमला क्षेत्र तथा पैकिंग स्थल है। सब्जियों की पौध एवं कुछ फल वृक्षों की पौध बीज द्वारा तैयार की जाती है। उन क्यारियों को बीज क्यारी कहते हैं तथा कुछ फल वाले पौधों की पौध कायिक विधियों द्वारा तैयार की जाती हैं तो ऐसी क्यारियों को पौध क्यारी कहते हैं। कुछ वृक्षों की पौध को गमलों में तैयार किया जाता है अतः पौधशाला में कुछ स्थान गमलों को रखने के लिए छोड़ा जाता है। पौधों को अन्य स्थान पर भेजने के लिए पैकिंग स्थान की भी पौधशाला में आवश्यकता होती है। पौधशाला की रूप-रेखा तैयार करते समय निम्न कार्यों हेतु जगह रखें:

- मात्र पौध लगाने का स्थान।

- बीज बोने की क्यारी।

- कायिक विधियों द्वारा प्रवर्धन हेतु प्रक्षेत्र।

- क्यारी चक्र हेतु खाली स्थान।

- कायिक विधियों से प्रवर्धित पौधों को रखने का स्थान।

- गमला प्रक्षेत्र।

- पैकिंग प्रक्षेत्र।

- जर्मप्लाज्म (बीज) भंडारण प्रक्षेत्र।

- कार्यालय तथा भंडार।

- प्रवर्धन हेतु प्रयुक्त विशेष संरचनाएं।

- रास्ते, सड़क, कुआं और खाद के गड्ढ़े। 

सब्जी पौध तैयार करने हेतु तकनीकी

स्थान का चुनाव: पौधशाला में ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जो उठा हुआ हो अर्थात् जहां जल भराव न हो, खरपतवार मुक्त हो एवं आसपास के प्रक्षेत्र को अच्छी तरह से साफ कर दें।

क्यारियों का निर्माण एवं उपचार: पौधशाला में एक क्यारी का आदर्श आकार 3X1 मी. रखें एवं दो क्यारियों के बीच की दूरी 30 सें.मी. रखें क्योंकि जिससे दो क्यारियों के बीच आसानी से सस्य क्रियाएं की जा सकें एवं क्यारियों की ऊंचाई 15 सें.मी. रखें जिससे जल भराव की स्थिति न बन पाए। प्रत्येक क्यारी (3X1 मी. के अनुसार) में सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा क्यारी का उपचार केप्टान या थीरम से 5-6 ग्रा./ मी. 2के हिसाब से करें।

बीज की बुवाई: बीज की बुवाई पौधशाला में कभी भी छिटक कर नहीं करना चाहिए क्योंकि पौधशाला में प्रत्येक बीज का बहुत महत्व है। बीज की बुवाई हमेशा कतार से कतार में करना चाहिए एवं संकर बीज कतार में 5 सें.मी. की दूरी पर डालना चाहिए एवं बीज की गहराई 0.5 सें.मी. तक रखना लाभकारी होगा। 

बीज दर: आदर्श पौधशाला हेतु टमाटर की संकर प्रजाति की बीज दर 125-175 ग्राम/है., बैंगन की 200 ग्रा/है., मिर्च की 1-1.5 कि.ग्रा./है. तथा गोभी की 375-500 ग्राम/है होती है। 

सस्य क्रियाएं: क्यारियों में बीज की बुवाई के उपरांत क्यारियों को पुआल, घास इत्यादि द्वारा कवर कर देना चाहिए। इससे बीज के अंकुरण का प्रतिशत ज्यादा हो जाता है एवं क्यारी में नमी को संरक्षित किया जा सकता है। इसके अलावा बीज को तेज धूप व तेज वर्षा से बचाया जा सकता है।

जब बीज में अंकुरण आ जाए तो पुआल एवं घास को क्यारी के ऊपर से हटा देना चाहिए। गोभीवर्गीय सब्जियों में अंकुरण लगभग 3-4 दिन में जबकि सोलेनेसी फसलों जैसे टमाटर, बैंगन आदि में 6-7 दिन में एवं 8-10 दिन में प्याज में अंकुरण आ जाता है।

विनोद कुमार तिवारी (वैज्ञानिक सस्य), सन्तोष कुमार शर्मा (आर.एच.ई.ओ.), रमेश अमुले एवं राजवीर सिंह यादव

कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां, सतना (मध्य प्रदेश)

पिन न. 485331  मोबाइल - 9669361767

English Summary: Scientific Techniques for Keeping the Vegetable Healthy Published on: 12 February 2018, 12:01 IST

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