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पपीते के पौधे में बोरोन की भूमिका, कमी के लक्षण एवं कारण, जानें कैसे करें प्रबंधित?

Boron Deficiency In Papaya Crop: पपीते में बोरोन की कमी से पौधों की वृद्धि और फलों की गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है. लक्षणों को पहचानना और अंतर्निहित कारणों का समाधान करना इसके प्रबंधन में महत्वपूर्ण कदम हैं. उचित मिट्टी परीक्षण लागू करना, आवश्यक होने पर बोरोन का उपयोग करना और अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाने से स्वस्थ पपीते की फसल और उच्च गुणवत्ता वाले फल उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद मिलती है.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
पपीते के पौधे में बोरोन कमी के लक्षण एवं कारण (Picture Credit - Plantix)
पपीते के पौधे में बोरोन कमी के लक्षण एवं कारण (Picture Credit - Plantix)

Papaya Farming Tips: भारत के ज्यादातार किसान खेती से अच्छी कमाई के लिए परंपरिक खेती से हटकर गैर-परंपरिक खेती में अपना हाथ अजमा रहे हैं और इसमें सफल भी हो रहे हैं. अधिकतर किसान कम समय और लागत में मोटा कमाई के लिए फलों की खेती करना पसंद कर रहे हैं. पपीता भी इन्हीं फसलों में से एक है, जिसकी देशभर में बढ़े स्तर पर खेती की जाती है. पपीते की खेती में बोरोन की कमी एक आम समस्या है, जिससे विकास और फलों की गुणवत्ता संबंधी विभिन्न समस्याएं पैदा होती हैं. आपको बता दें, पपीता (कैरिका पपीता) एक उष्णकटिबंधीय फल है, जिसे पनपने के लिए संतुलित पोषक स्तर की आवश्यकता होती है. बोरोन, हालांकि अपेक्षाकृत कम मात्रा में आवश्यक है, लेकिन पपीते के पौधों के विकास और फूल एवं फल बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, पपीते के विकास में बोरोन की भूमिका, कमी के लक्षण, कमी के कारण एवं कमी को कैसे करें प्रबंधित?

पपीते के विकास में बोरोन की भूमिका

बोरोन पपीते की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक एक सूक्ष्म पोषक तत्व है. यह कोशिका भित्ति निर्माण, शर्करा परिवहन, पराग नली वृद्धि और फल विकास सहित कई प्रमुख प्रक्रियाओं में शामिल है. पपीते में बोरोन की कमी के कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.

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बोरोन की कमी के लक्षण

बोरोन की कमी से पपीता के पौधों का विकास रुकना

बोरोन की कमी का सबसे स्पष्ट लक्षण पपीता के पौधों का विकास रुक जाना होता है. प्रभावित पपीता का पौधा आम तौर पर छोटे और कम मजबूत होते हैं.

बोरोन की कमी का पत्ती पर लक्षण

बोरोन की कमी पत्तियों में प्रकट हो सकती है. पुरानी पत्तियों के किनारे भंगुर और बदरंग हो सकते हैं, गहरे भूरे या कांस्य रंग का हो सकते हैं. नई पत्तियां विकृत या बेडौल दिखाई दे सकती हैं.

बोरोन की कमी का फल पर लक्षण

पपीते में बोरान की कमी का एक स्पष्ट संकेत फल की त्वचा पर कॉर्क वाले धब्बों का दिखना है. ये क्षेत्र उभरे हुए, खुरदरे और बदरंग हो जाते हैं.

बोरोन की कमी से कम फूल आना

बोरोन की कमी होने से पपीते के पौधे में फूल कम आते है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः फल कम बनते हैं.

बोरोन की कमी फलों का असामान्य (कुबड़ा) विकास

फल विभिन्न विकृतियां प्रदर्शित कर सकते हैं, जैसे अनियमित आकार और खराब गुणवत्ता. उनमें आंतरिक गुहाएं या दरारें भी हो सकती हैं.

बोरोन की कमी के प्रमुख कारण

पपीता की खेती में बोरोन की कमी के प्रभावी प्रबंधन के लिए यह अत्यावश्यक है की बोरान की कमी के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है:

मिट्टी का पीएच

बोरोन की उपलब्धता मिट्टी के पीएच से प्रभावित होती है. अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में, बोरान पौधों के लिए कम सुलभ हो जाता है.

मिट्टी का प्रकार

रेतीली मिट्टी बोरोन को अधिक आसानी से सोख लेती है, जिससे पपीते के पौधों के लिए इसकी उपलब्धता कम हो जाती है.

अत्यधिक वर्षा

भारी और लगातार वर्षा वाले क्षेत्र मिट्टी से बोरोन को बहा सकते हैं.

उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग

उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग, विशेष रूप से पोटेशियम में उच्च और बोरोन की कमी का कारण बन सकता है.

पपीता की फसल में बोरोन की कमी को कैसे करें प्रबंधित?

पपीते में बोरान की कमी को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों को नियोजित किया जाना चाहिए जैसे..

मृदा परीक्षण

बोरोन के स्तर की निगरानी के लिए नियमित मिट्टी परीक्षण करें. इससे बोरोन के प्रयोग के संबंध में उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है.

बोरोन का प्रयोग

मिट्टी परीक्षण के परिणामों और अपनी पपीते की फसल की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर बोरान युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें. यदि परीक्षण नही कर पाए है, तो प्रति पौधा 8 से 10 ग्राम बेसल डोज के रूप में मिट्टी में दे, यह कार्य मिट्टी की जुताई और गुड़ाई करते समय भी कर सकते है. बोरोन को बोरेक्स या सोलूबोर जैसे विभिन्न रूपों में बाजार में मिलता है.

पर्णनीय छिड़काव (स्प्रे)

बोरोन के गंभीर कमी के मामलों में, बोरोन का पर्ण स्प्रे त्वरित समाधान प्रदान करता है. बोरोन @4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर एक एक महीने के अंतर पर पहले महीने से शुरू करके 8वें महीने तक छिड़काव करने से भी फल में बनने वाले कुबड़ापन को खत्म किया जा सकता है. यह फूल आने और फल लगने की अवस्था के दौरान विशेष रूप से प्रभावी होता है.

पीएच समायोजन

यदि मिट्टी बहुत अधिक अम्लीय या क्षारीय है, तो बोरोन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पीएच को अधिक तटस्थ स्तर पर समायोजित करें.

उचित सिंचाई

सिंचाई का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है. अत्यधिक पानी या खराब जल निकासी बोरोन लीचिंग को बढ़ा सकता है, अतः एक कुशल सिंचाई प्रणाली यथा ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करें.

फसल चक्र

बोरोन की कमी के चक्र को तोड़ने के लिए फसल चक्र अपनाएं. एक ही क्षेत्र में लगातार पपीते की खेती करने से बचें.

कार्बनिक पदार्थ

खाद या कार्बनिक पदार्थ मिलाकर मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में सुधार करें, जो बोरोन को बनाए रखने में मदद करता है.

संतुलित उर्वरक

एक संतुलित उर्वरक आहार सुनिश्चित करें जिसमें केवल बोरोन ही नहीं, बल्कि सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल हों. कुछ पोषक तत्वों के अति प्रयोग से बोरान की कमी हो सकती है.

लक्षणों पर नज़र रखें

बोरान की कमी के लक्षणों के लिए नियमित रूप से अपने पपीते के पौधों का निरीक्षण करें, ताकि आप तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई कर सकें.

विशेषज्ञों से परामर्श

यदि आपके प्रयासों के बावजूद कमी बनी रहती है, तो समस्या का निदान करने और एक अनुरूप समाधान हेतु स्थानीय कृषि विशेषज्ञों या विस्तार सेवाओं से संबंधित कार्यकर्ताओं से सलाह लें.

English Summary: role of boron in papaya crop symptoms and causes of deficiency boron how to manage Published on: 11 October 2024, 12:35 IST

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