राजस्थान का कुछ हिस्सा रेगिस्तान से भरा हुआ है. इन जगहों पर खजूर की खेती काफी बड़े स्तर पर होती है. ऐसे में राजस्थान सरकार राज्य के इन हिस्सों में खजूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान भी प्रदान कर रही है.
5 साल का ठेका
राजस्थान के जैसलमेर के एक भोजका गांव के डेट फार्म पर खजूर की खेती की जाती है. इस फार्म को खजूर उत्पादन के लिए सरकार ने कुल 5 साल का ठेका दिया है. इस जगह पर काफी बड़ी संख्या में सैलानी भी आते हैं. इस फार्म पर सैलानियों के ठहरने और मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई है.
400 टन से खजूर का उत्पादन
राजस्थान के जैसलमेर जिले में किसान चार सौ टन तक के खजूर का उत्पादन कर रहे हैं. हॉर्टिकल्चर व उद्यान विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, यहां के सगरा-भोजका के जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 110 हेक्टेयर में टिशू कल्चर खजूर फार्म की स्थापना की गई है. यह फार्म खाड़ी देशों से आयातित खजूर की विभिन्न किस्मों को टिश्यू कल्चर के माध्यम से तैयार करता है. इस जगह पर खजूर के करीब 15 हजार पौधे लगाये गए हैं.
3 सालों की पैदावार
पिछले 3 सला में इस जगह पर करीब 17 लाख रुपये के 3000 पौधों की खेती की गई है. वहीं इस वर्ष 2023-24 में कुल 6000 पौधों का रोपण किया गया है. इस खजूर के तैयार पौधों से जैसेलमेर के इस गांव के किसानों के आर्थिक हालात काफी बेहतर हो गए हैं.
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75 प्रतिशत सब्सिडी
आपको बता दें खजूर के एक पौधे की कीमत 2000 रुपए होती है. राज्य सरकार इसकी खरीद पर किसानों को 75 प्रतिशत तक का अनुदान दे रही है. सब्सिडी के बाद पौधे की दाम घटकर 375 रुपये हो जाता है. किसान भाई अपने एक हेक्टेयर के खेत में 150 से 170 पौधों का रोपण कर सकते हैं. इन खाड़ी देशों से प्रभावित होकर जैसलमेर के किसान अब तक 400 टन से ज्यादा सालाना खजूर की पैदावार कर रहे हैं.
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