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Mangifera indica: आम भारत का प्रमुख फल है, जिसे फलों का राजा कहा जाता है. इसकी व्यावसायिक खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होती है. आम के उत्पादन में कई जैविक एवं अजैविक कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें से पावडरी मिलड्यू (Powdery Mildew) एवं सूटी मोल्ड (Sooty Mold) प्रमुख रोग हैं, जो विशेष रूप से बौर (मंजर या फूल)के समय आम की फसल को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकते हैं. इन रोगों के प्रभाव को कम करने और स्वस्थ फल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उचित रोकथाम और प्रबंधन आवश्यक है.
पावडरी मिलड्यू (Powdery Mildew) का प्रभाव और रोकथाम
रोग का कारण
पावडरी मिलड्यू रोग मुख्य रूप से कवक Oidium mangiferae के कारण होता है. यह रोग आम के बौर, पत्तियों और छोटे फलों पर सफेद पाउडर जैसी परत बना देता है, जिससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया प्रभावित होती है.
लक्षण
- बौर पर सफेद पाउडर जैसी परत दिखाई देना.
- संक्रमित फूल मुरझाने लगते हैं और गिर जाते हैं.
- प्रभावित छोटे फल सूखकर गिर जाते हैं.
- पत्तियों पर सफेद फफूंद की परत बनती है, जिससे वे पीली पड़ जाती हैं.
पावडरी मिलड्यू रोग का प्रबंधन कैसे करें?
संस्कृतिगत उपाय: बाग में उचित वायु संचार के लिए पौधों की उचित छँटाई करें और उचित दूरी पर वृक्ष लगाएँ.
जैविक उपाय: नीम का तेल (5ml/L) या लहसुन-नीम-अदरक का अर्क छिड़काव करने से इस रोग की तीव्रता कम हो सकती है.
रासायनिक उपाय
सल्फर आधारित फफूंदनाशी जैसे वेटेबल सल्फर (0.2%) या कैराथेन (0.1%) का छिड़काव करें.
डिनोकैप (0.1%) या ट्रायडिमेफॉन (0.1%) का भी प्रयोग किया जा सकता है.
आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें.
सूटी मोल्ड (Sooty Mold) का प्रभाव और रोकथाम
रोग का कारण
सूटी मोल्ड रोग Capnodium नामक कवक द्वारा होता है. यह रोग मुख्य रूप से चूसक कीटों जैसे कि मिलीबग, एफिड और व्हाइटफ्लाई द्वारा स्रावित हनीड्यू (मीठा पदार्थ) पर विकसित होता है. इस कवक के कारण पत्तियों और बौर पर काले रंग की परत जम जाती है.
लक्षण
- पत्तियों, बौर और फलों पर काली परत जम जाती है.
- प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है.
- फल का रंग और गुणवत्ता प्रभावित होती है.
- पत्तियाँ और बौर समय से पहले झड़ सकते हैं.
सूटी मोल्ड को कैसे करें प्रबंधित?
कल्चरल उपाय: आम के बाग में चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए पौधों की उचित छँटाई करें और गिरे हुए पत्तों एवं संक्रमित भागों को नष्ट करें.
जैविक उपाय
- जैविक कीटनाशकों जैसे नीम का तेल (5ml/L) या ब्यूवेरिया बैसियाना (2g/L) का छिड़काव करें.
- परजीवी ततैया जैसे Cryptolaemus montrouzieri का प्रयोग करें.
रासायनिक उपाय
चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.5ml/L) या थायामेथोक्साम (0.5g/L) का छिड़काव करें. सूटी मोल्ड को हटाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3g/L) या कार्बेन्डाजिम (1g/L) का छिड़काव करें.
संयुक्त प्रबंधन रणनीति
- बौर के समय नियमित निगरानी करें ताकि किसी भी संक्रमण के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान की जा सके.
- संतुलित उर्वरक प्रबंधन करें, जिससे पौधे स्वस्थ और रोग-प्रतिरोधी बने रहें.
- सामयिक छिड़काव करें, जैविक और रासायनिक नियंत्रण उपायों को उचित समय पर अपनाएँ.
- कीट नियंत्रण करें, क्योंकि सूटी मोल्ड का प्रकोप अक्सर कीटों के कारण बढ़ता है.
- एक बार आम में फूल खिल जाने के बाद किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि रसायन का प्रयोग खासकर कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए ,अन्यथा बाग में परागण बुरी तरह से प्रभावित होगा जिसकी वजह से फल नहीं बनेंगे .
- केवीके के वैज्ञानिकों/स्थानीय कृषि वैज्ञानिकों के संपर्क में रहे एवं उनकी सलाह के अनुसार प्रयोग करें.
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