कृषि विज्ञान केन्द्र परवाहा- औरैया के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड डॉ. अनन्त कुमार ने लीची फल उत्पादक कृषकों के लिए नयी तकनीकी का इजात किया है. जिसमें लीची के उत्पादक किसानों की सबसे बड़ी समस्या लीची का फल एक साथ एवं कम अवधि में पककर तैयार हो जाना है. नतीजतन किसानों के पास भण्डारण की व्यवस्था न होने के कारण लीची का दाम बहुत तेजी से गिर जाता है. जिससे किसान लीची के फल को औने-पौने दर पर बेंचने को मजबूर हो जाता है. जिससे उसे बहुत अधिक आर्थिक रूप से हानि उठानी पड़ती है.
डॉ. अनंत कुमार ने निकाला समाधान
इस समस्या को दूर करने के लिए डॉ. अनंत कुमार के मुताबिक, लीची उत्पादक किसान लीची पकने के 10 दिन पहले लीची के प्रत्येक वृक्ष के चारों तरफ लीची के वृक्ष से 2 से 3 मीटर छोड़कर गुड़ाई करके चारों तरफ मेड बना दें. एवं वृक्ष के उम्र के हिसाब से 2.50 ग्राम से 1 किग्रा. यूरिया डालकर सिंचाई करें. इससे लीची की परिपक्यता अवधि 15-20 दिन तक बढ़ोत्तरी हो जाती है. जिससे कृषकों को आर्थिक रूप से हानि नहीं उठाना पड़ता है. और कृषकों को अच्छा मूल्य मिलता है. यह तकनीकी लीची के उत्पादक कृषकों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
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