आम को फलो का राजा कहा जाता है और यह फल लोगो को काफी पसंद भी हैं। लेकिन मौसम की मनमानी से आम के पत्तों पर सूटी मोल्ड रोग का कहर बढ़ गया हैं। इस रोग की चपेट में आकर छोटे आम भी झड़ने लगे हैं। इस बीमारी से किसानो को भारी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ रहा हैं। खासकर पुरवईया हवा चलने पर इस रोग का प्रकोप ज्यादा देखा जा रहा है। किसान इस बीमारी से काफी दुखी हैं। शिकायत करने पर कृषि वैज्ञानिकों ने बाग मालिकों से कीटनाशी व फफूंदनाशी दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है।
कैसे आता है सूटी मोल्ड रोग का प्रकोप
यह रोग सबसे पहले मधुआ कीट के आक्रमण से फैलता है। मधुआ कीट का प्रकोप आम के पत्तों पर होता है। इससे आम के पत्तों पर काला रंग का धब्बा आने लगता है। धीरे धीरे यह काला रंग चमकीला दिखने लगता है। आम का पत्ता धीरे धीरे झुलसने लगता है। इसका कारण सूटी मोल्ड रोग बताया जाता है। इस रोग के प्रकोप से यह सीधे टिकोलों को प्रभावित करता है। टिकोले झड़ने लगते है। यह आम के उत्पादन व गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
कब लगता है यह रोग
अप्रैल माह में इसका प्रकोप ज्यादा होता है। जब पुरवईया हवा बहने लगती है तो सबसे पहले मधुआ कीट आम के पेड़ पर गिरने लगते हैं। कीट का प्रकोप पत्तों से शुरू होकर टिकोलों पर असर डालने लगता है। यदि समय पर कीटनाशी व फफूंदनाशी दवा का छिड़काव नहीं किया जाय तो ज्यादा नुकसान हो सकता है।
इस कीटनाशी का करें छिड़काव: सूटी मोल्ड रोग का प्रकोप दिखने लगे तो तुरंत छिड़काव शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल नामक कीटनाशी की 1 मिली मात्रा को प्रति दो लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इससे मधुआ कीट का प्रकोप खत्म हो जाएगा। दूसरे दिन मैंकोजेब नामक फफूंदनाशक की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करने से सूटी मोल्ड रोग से छुटकारा मिल जाएगा। पुन: सात दिनों के बाद दूसरा छिड़काव करना चाहिए।
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