आम भारतीयों का बहुत ही प्रिय फल है. खट्टे- मीठे आम सब शौक से खाते हैं. आम की अलग-अलग प्रजातियों के आधार पर भी फलों में कम व ज्यादा मिठास पाई जाती है. कच्चा आम चटनी, अचार समेत पेय के रूप में प्रयोग होता है, तो वहीं आम से जैली, जैम, सिरप आदि भी बनाए जाते हैं.
मगर क्या आप जानते हैं कि आम का उपयोग जितने उत्पाद बनाने में किया जाता है, उतना ही उपयोगी उसका छिलका भी होता है. जी हां, आप जानकार हैरान हो जाएंगे कि आम के छिलके से उसके पौधों के अच्छे विकास के लिए खाद बनाई जा सकती है.
आम के बगीचे के लिए सबसे अच्छी खाद (Best fertilizer for mango orchard)
खास बात यह है कि आप आम के छिलकों को गर्मी में अपने पौधों के लिए जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि आम में विटामिन सी, ई, पॉलीफेनोल, कैरोटीनॉयड और फाइबर पाया जाता है. पौधों के लिए आम के छिलकों से जैविक खाद बनाकर तैयार कर सकते हैं. इस लेख में पढ़िए आम के छिलकों से खाद बनाने की जानकारी
आम के बगीचे के लिए खाद बनाने की विधि (How to make compost for mango orchard)
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इसके लिए सबसे पहले आम खाने के बाद छिलकों को छोटे टुकड़ों में काट लें.
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इसके बाद उन्हें एक एयरटाइट कंटेनर में डालें.
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अगर एक आम का छिलका है, तो इसके लिए एक गिलास पानी डालें.
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अब ढक्कन को कसकर बंद करें और इसे करीब 24 घंटे के लिए छोड़ दें.
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इसके अगले दिन कंटेनर खोलें और छिलकों को हिलाएं.
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इसके बाद फिर से ढक्कन बंद कर दें और एक बार फिर 24 घंटे तक का इंतजार करें.
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इसके तीसरे दिन लिक्विड को छान लें.
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इसे एक गिलास पानी के साथ पतला कर लें.
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फिर इस मिश्रण से अपने पौधों को पानी दें.
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आप इस मिश्रण का प्रयोग सप्ताह में 1 से 2 बार दोहरा सकते हैं.
एक ही पेड़ पर लगें 121 किस्म के आम (121 varieties of mangoes grown on the same tree)
हाल ही में आम के एक ही पेड़ पर 121 किस्म के फल लगने की खबर सामने आई थी. दरअसल, सहारनपुर के कंपनी गार्डन में आम का एक 15 साल पुराना पेड़ था, जिस पर 121 किस्म के फल की पैदावार प्राप्त हुई. यह अनोखा प्रयोग करीब 5 साल पहले कंपनी बाग में किया गया था. इसका मकसद आम की नई-नई किस्म पर शोध करना था. वैज्ञानिकों द्वारा आम के पेड़ पर शोध कार्य किए गए हैं, जिस पर अलग-अलग किस्म के आम की शाखाएं लगाई गई थी. अब पेड़ पर अलग-अलग किस्म के आम लगते हैं. बता दें कि पश्चिमी यूपी के सहारनपुर का नाम आम उत्पादन के मामले में अग्रणी है.
आम के एक ही पेड़ पर 121 किस्म के आम की कलम(ब्रांच) लगाई थी. यही वजह है कि आम के एक ही पेड़ पर 121 तरह के आम लगने शुरू हुए हैं. शोध के लिए जिस पेड़ को जिस पेड़ को चुना गया था, उसकी उम्र उस वक्त करीब 10 साल की थी. आम के देसी पेड़ की शाखाओं पर अलग-अलग किस्मों के आमों की कलमें लगाई गईं थीं. पेड़ की देखरेख के लिए अलग से नर्सरी प्रमुख को नियुक्त किया गया था.
अब इस पेड़ पर अलग-अलग तरह की प्रजाति के दशहरी, लंगड़ा, चौंसा, रामकेला, आम्रपाली, सहारनपुर अरुण, सहारनपुर वरुण, सहारनपुर सौरभ, सहारनपुर गौरव, सहारनपुर राजीव जैसे आम लगते हैं. वहीं लखनऊ सफेदा, टॉमी ऐट किंग्स, पूसा सूर्या, सैंसेशन, रटौल, कलमी मालदह आम, बांबे, स्मिथ, मैंगीफेरा जालोनिया, गोला बुलंदशहर, लरन्कू, एलआर स्पेशल, आलमपुर बेनिशा,असौजिया देवबंद समेत 121 किस्म के आम इस पेड़ पर लग रहे हैं.
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