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नींबू की पत्तियों में पीलेपने की समस्या का ऐसे करें प्रबंधित, जानें पूरी विधि

नींबू की फसल में किसानों को सबसे अधिक अत्यधिक पीलेपन की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसके लिए किसान कई तरह के रास्ते भी अपनाते हैं. ताकि वह नींबू की अच्छी पैदावार पा सके. इसी क्रम में आज हम किसानों के लिए नींबू की पत्तियों से अत्यधिक पीलेपन की परेशानी से राहत के कुछ उपाय लेकर आए हैं.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
नींबू की फसल  (Image Source: Pinterest)
नींबू की फसल (Image Source: Pinterest)

Lemon leaves: नींबू की पत्तियां पीली पड़ रही हैं, तो यह पोषक तत्वों की कमी का संकेत हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है की मात्र पोषक तत्वों की कमी से ही पत्तियां पीली होती है, पानी की कमी या अधिकता से भी पत्तियां पीली होती है. इसलिए नींबू में पत्तियों के पीलेपन को प्रबंधित करने से पूर्व यह जानना अति आवश्यक है की आखिर कारण क्या है. इस प्रकार की समस्या को विकार (Disorder) कहते है. विकार संक्रामक नहीं होता है यह किसी तत्व या वजह की कमी या अधिकता की वजह से होता है, इसके प्रबंधन के लिए आवश्यक है की पहले यह जाने की वह कारण क्या है. यदि किसी तत्व की कमी है तो उसे देकर इस प्रकार की समस्या को बहुत ही आसानी से प्रबंधित कर सकते है. यदि पानी की अधिकता है तो पानी का आवश्यकता के अनुसार से ही प्रयोग करें.

नींबू में पुरानी पत्तियों का पीला पड़ना बहुत ही सामान्य बात है जब तक कि यह केवल बहुत कम संख्या में सबसे पुरानी पत्तियों पर हो. नींबू जैसे सदाबहार पेड़ समय के साथ अपनी सबसे पुरानी पत्तियों को गिरा देते है और उनकी जगह नई पत्तियां ले लेती है, लेकिन ऐसा बहुत कम पत्तियों के साथ होता है जिस पर शायद ही ध्यान दिया जाता है. 

सूक्ष्म पोषक तत्वों में मैग्नीशियम (Mg) , जो हरे रंग के वर्णक क्लोरोफिल का एक प्रमुख घटक है जिसका उपयोग पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिए करते हैं. हरे वर्णक क्लोरोफिल के बिना, पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं. यदि पुराने पत्तों के साथ-साथ युवा पत्तियाँ पीली पड़ रही हैं, और नींबू पेड़ पर बड़ी संख्या में पत्तियाँ पीली हैं, तो यह नाइट्रोजन की कमी का संकेत है.

नींबू के पेड़ को भारी मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती  हैं और उन्हें एक अच्छी गुणवत्ता वाले संतुलित उर्वरक देने की आवश्यकता होती है, प्रचुर मात्रा में पोषक तत्वों को देने से, पौधे नई वृद्धि करने में सक्षम होने के लिए पुरानी पत्तियों का त्याग करना शुरू कर देते हैं, और जब ऐसा होता है, तो बड़ी मात्रा में पुराने पत्ते  पीला होना शुरू हो जाएगा जबकि नई हरी पत्ती निकलती है.

वसंत और शरद ऋतु की शुरुआत में नींबू के पेड़ों में संतुलित खाद एवं उर्वरक के प्रयोग करने से नींबू के पेड़ स्वस्थ और उत्पादक रहते हैं और पोषक तत्वों की कमी से उन्हें बचाया जा सकता  है.

आयरन की कमी की वजह से क्लोरोसिस या साइट्रस में पीलापन के लक्षण सबसे पहले नई टहनियों पर दिखाई देते हैं. गंभीर कमी की अवस्था में, पत्तियां लगभग सफेद हो जाती हैं, एवम पत्तियों की संख्या कम हो जाती हैं, और समय से पहले गिर जाती हैं. नींबू आयरन की कमी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. चीलेटेड आयरन के रूप में इसका प्रयोग करने से मिट्टी से कमी को बहुत आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है.पत्तेदार के ऊपर  स्प्रे  करके भी लोहे की कमी को दूरकिया जा सकता है. मैग्नीशियम की कमी वाले नींबू के पत्तों में सिरे और किनारे का अंतःशिरा क्लोरोसिस होता है जबकि पत्ती का आधार हरा रहता है.  बड़ी संख्या में बीज वाली किस्मों पर लक्षण सबसे आम हैं. सल्फर की कमी नाइट्रोजन के समान होती है - सबसे छोटी पत्तियां पूरी तरह से पीली हो जाती हैं.

नींबू में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग कैसे करें

नींबू के पौधे जब 1-4 वर्ष के  हो तो 15 से 20 किग्रा खूब सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट, 250-500 ग्राम यूरिया, 250-750 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 50 से100 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधा प्रति वर्ष कैनोपी के अनुसार 1 मीटर दूर रिंग में मुख्य तने से दूर डालें. 5 से 7 वर्ष के वृक्ष में 25-30 किग्रा. गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट, 750-1000 ग्राम यूरिया, 750-1000 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 100 से 150 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मुख्य तने से 1.5 मीटर दूर रिंग में डालें. जब पेड़ 8 और उससे अधिक आयु का हो तब 25-30 किग्रा. गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट, 1000 से1500 ग्राम यूरिया, 1000-1250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 150 से 250 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मुख्य तने से 1.5 मीटर दूर रिंग में डालें.

गोबर की खाद, सिंगल सुपर फास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश दिसम्बर के अंत में डालें. आधी यूरिया मध्य फरवरी में एवं आधी शेष यूरिया अप्रैल माह में डालकर सिंचाई करें. मई-जून और फिर अगस्त-सितम्बर माह में 5 ग्राम प्रति लीटर जिंक सल्फेट और 5 ग्राम प्रति लीटर यूरिया का घोल बनाकर पौधे पर छिड़काव करें.

English Summary: Main reason for excessive yellowing of lemon leaves and how to manage the problem Published on: 02 September 2024, 01:59 IST

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