किसानों के लिए अंगूर हमेशा से फायदेमंद रहा है. इसका उत्पादन ही विशेषकर पैसा कमाने के लिए व्यापारिक तौर पर किया जाता है. इसकी बेल सदाबहार होती है, जबकि इसके पत्ते वर्ष में केवल एक बार ही झड़ते हैं. इसकी खेती गर्म और शुष्क जलवायु में ही संभव है. यह ऐसे क्षेत्रों में ही उगाया जा सकता है, जहां का तापमान 15 से 40 डिग्री सेल्सियस तक हो.
मिट्टी का चुनाव
इसकी खेती कई तरीकों से अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. जैसे रेतीली मिट्टी, लोमस मिट्टी, लाल रेतीली मिट्टी पर इसकी खेती की जा सकती है. इसके अलावा हल्की काली मिट्टी पर भी इसकी खेती आराम से हो जाती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो इसके लिए शुष्क मिट्टी की जरूरत है, जो पूर्ण रूप से पानी को रोकने में सक्षम हो. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अंगूर की खेती में किन बातों का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए.
फासला
अगर आप इसक खेती निफिन विधि के अनुसार कर रहे हैं तो कम से कम 3x3 मीटर का फासला रखें. इसी तरह अगर आप आरबोर विधि का पालन कर रहे हैं तो 5x3 मीटर का फासला रखना जरूरी है. इसके बीजों की गहराई 1 मीटर होनी चाहिए.
सिंचाई
अंगूर की खेती का पूरा खेल सिंचाई पर आश्रित है. सिंचाई ही इस फसल का आधार है. इसकी पहली सिंचाई छंटाई के बाद फरवरी में करनी चाहिए, जबकि दूसरी सिंचाई लगभग मार्च के पहले सप्ताह में करनी चाहिए. इसी तरह तीसरी सिंचाई के लिए अप्रैल से मई का पहला सप्ताह उपयुक्त है. मई में सप्ताह के अंतराल पर इसकी चौथी सिंचाई होनी चाहिए. जून माह में 3 या 4 दिनों के अंतराल पर इसकी सिंचाई का होना जरूरी है और इसकी आखिरी सिंचाई नवंबर से जनवरी माह में होनी चाहिए.
कटाई
फसल की तुड़ाई के बाद फलों को 4.4 डिग्री तापमान पर रखना फायदेमंद है. इससे वो ठंडे रहते हैं और उनमें ताजापन बना रहता है.
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