कृषि की बढ़ती जनसंख्या की खाद्य समस्या को हल करने के लिए सघन खेती अति आवष्यक है। इस विधि से एक ही खेत से एक वर्ष में कई फसलें ली जाती हैं। इसके लिए उन्नत बीज, रासायनिक खाद तथा पानी की समुचित व्यवस्था के साथ - साथ कृषि कार्य जैसे भूमि की तैयारी, बीजों की बुवाई, सिंचाई कटाई आदि समय पर न होने से फसल उत्पादन में काफी कमी हो जाती है।
कृषि यंत्रों का उचित चुनाव:- कृषि यंत्रों का चुनाव करते समय निम्न बिन्दुओं पर विषेषकर ध्यान देना चाहिए.
1- मशीन खेती के कार्य को करने में संतोषपूर्ण ढ़ंग से सक्षम हो।
2- मशीन में लगने वाली ऊर्जा या शक्ति का भरपूर उपयोग कार्य करने के लिए होना चहिए जिससे उसकी कार्य कुशलता अधिक से अधिक मिल सके।
3- मशीन चलाने के लिए कम से कम व्यक्तियों की जरूरत हो।
4- यंत्र की बनावट मजबूत हो ताकि उसको कई साल तक प्रयोग में लाया जा सके।
5- यंत्रों की मरम्मत का खर्च कम से कम हो और उसे स्थानीय कारीगर से कराया जा सके। उसका रख रखाव भी अत्यंत आसान हो।
6- मशीन में सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध हों जिससे कम से कम दुर्घटनाओं की सम्भावना रहे।
7- मशीन की गुणवत्ता भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए मशीन प्रसिद्ध निर्माता या उसके प्रतिनिधि से खरीदी जानी चाहिए और उस पर आई.एस.आई. का निशान लगा हो जो गुणवत्ता की गारंटी होती है।
कृषि यंत्रों का रख रखाव:- कृषि यंत्रों को प्रयोग में लाने से पहले का रख-रखाव.
1- मशीन के हर भाग का निरीक्षण ठीक ढंग से करना चाहिए। यदि कोई नट-बोल्ट या पुर्जा टूटा हुआ है या अपने ठीक जगह पर नहीं है तो उसे बदलें या मरम्मत करवाएं।
2- मशीन के जो भाग चलते-चलते घिस जाते हैं, उसे धार करा लेनी चाहिए।
3- मशीन के उचित गति से कार्य करने के लिए मशीनों में आवश्यक एडजस्टमेंट कर लेना चाहिए।
4- मशीन के ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए कुछ यंत्रों को प्रयोग करने से पहले परीक्षण करना होता है और आवश्यक फेरबदल करने पड़ते हैं जैसे सीडड्रिल में बीज की ठीक मात्रा को गिराने के लिए पहले समायोजित करना पड़ता है। इसी प्रकार से दवा छिड़कने वाली मशीनों को भी समायोजित करना पड़ता है।
5- ट्रैक्टर द्वारा चलित मशीन का प्रयोग करने के लिए ट्रैक्टर के ब्रेक आदि को ठीक प्रकार से देख लेना चाहिए। उसके पी.टी.ओ., पुली तथा अन्य आवश्यक पुर्जों का समन्वय ठीक होना चाहिए।
कृषि यंत्रों के उपयोग के समय रख-रखाव:-
1- मशीन के साथ काम करने वाले व्यक्ति को चोट लगने से बचाने के लिए संभावित सुरक्षा उपाय कर लेने चाहिए। मशीन के सभी घूमने वाले हिस्से को तार की जाली आदि से ढंक लेना चाहिए। अगर मशीन में ये हिस्से लगे हंै तो उनको हटाना नहीं चाहिए अन्यथा अन्जाने में चालक के शरीर का कोई भाग मशीन की चपेट में आने से दुर्घटना हो सकती है। थ्रेशर पर अधिकतर दुर्घटनाएं इसी प्रकार की होती हैं।
2- मशीन को निर्धारित गति पर ही चलाना चाहिए। यदि कम गति से चलाएंगंे तो कार्य क्षमता कम हो जाएगी। यदि अधिक गति से चलाएगंे तो मशीन के टूटने - फूटने की सम्भावना रहती है।
3- यंत्रों के घूमने वाले पुर्जों को घिसने से बचाने के लिए समय - समय पर निर्धारित तरह के तेल व ग्रीस लगाते रहना चाहिए। इससे उनके बीच घर्षण कम हो जाता है।
4- चालक अपनी सीट पर ही उचित ढंग से बैठकर काम करें। उसे अपनी सीट पर खड़े होना या चलती हुई मशीन की सीट से उतरना नहीं चाहिए।
5- यदि मशीन के चलते समय उसके किसी भाग का निरीक्षण करना हो तो पहले मशीन को बन्द कर दें, फिर मशीन को हाथ लगाएं।
6- यदि मशीन शाम के समय काम में लाई जा रही हो तो मशीन के पास रोशनी का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। उचित रोशनी के अभाव में दुर्घटना होने के अवसर रहते हैं।
कृषि यंत्रों के उपयोग के बाद एवं भंडारण में रखते समय का रख-रखाव:-
1- यंत्र का प्रयोग करने के बाद प्रतिदिन ठीक प्रकार से साफ कर लेना चाहिए। ताकि धूल, मिट्टी, आदि निकल जाए। खासतौर से मोटर, थ्रेशर, सीडड्रिल आदि के लिए यह जरूरी है। सीडड्रिल आदि के उपयोग के बाद टंकी व अंदरूनी भागों को भी अच्छी तरह साफ करना चाहिए। ऐसा करने से यंत्र की सेवा आयु बढ़ जाती है।
2- मशीन को अच्छी तरह साफ करके शेड के अन्दर सूखी जगह पर रखें। मशीन के जिन भागों को नुकसान पहुंचने की सम्भावना हो, उनको निकाल कर अलग सुरक्षित स्थान पर रखें।
3- कृषि यंत्रों एवं मशीनों के नट-बोल्ट वाॅशर आदि को प्रतिदिन देखना जरूरी है। यदि कोई नट-बोल्ट ढीले मिलें तो उनको कस देना चाहिए।
4- मशीन में तेल, पानी बदलने का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। ट्रैक्टर, पाॅवर टिलर, कम्बाईन आदि में यह अति आवश्यक है। गीयर बाॅक्स, ईंजन तथा एयर क्लीनर में तेल का माप देखते रहना चाहिए। यदि कम हो या बदलना हो तो उचित किस्म के तेल से पूर्ति करनी चाहिए। मशीन के रेडिएटर में पानी का उचित प्रबन्ध रखना चाहिए। इससे मशीन के कार्य के बीच में रूकावट नहीं आएगी। रबर के पहियों में हवा का दाब ठीक रखना चाहिए।
5- मशीन तथा यंत्रों के घूमने वाले हिस्सों में यथा समय तेल या ग्रीस लगाना चहिए।
6- बरसात के मौसम में नुकसान से बचाने के लिए मशीन के धातु वाले हिस्सों को जंग प्रतिरोधी पेन्ट से रंग दें।
7- जिन मशीनों में रबर के पहिए हांे, उन्हें जमीन से उॅचा इस प्रकार रखें कि पहिए जमीन के ऊपर रहें।
8- मशीन के नीचे लकड़ी या पत्थर लगाकर स्थिर कर दें जिससे उसके गिरने का अंदेशा न रहे और बच्चों तथा जानवरों के साथ दुर्घटना न हो सके।
इंजी. अमित कुमार सिन्हा, विशेषज्ञ (कृषि अभियांत्रिकी)
कृषि विज्ञान केन्द्र, धमतरी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर(छ.ग.)
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