हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के गांव मरोठी के निवासी हेमराज गुप्ता ने अपनी मेहनत के जरिए मिट्टी से सोने को निकालने का कार्य किया है. खुशी की बात तो यह है कि इस प्रगतिशील बागवान ने सेब पैदावार के पुराने तरीके के छोडकर खेती के आधुनिक तकनीक को अपना करके 5 बीघा जमीन से 5 लाख रूपए को कमाया है.
दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हेमराज
आज सेब की खेती के लिए नई तकनीक को अपनाकर ये बागवान इलाके में दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है. निवासी हेमराज गुप्ता कहते है कि उन्होंने सघन खेती में पुरानी फसल के एक पेड़ की जगह रूट स्टॉक के 15 से 20 पौधों को लगाने का कार्य किया है. इससे अब दुगनी पैदावार होने के साथ ही उनकी आमदनी भी दुगनी होती जा रही है. यही नहीं सघन खेती के सहारे वह सेब के पौधों के बीच अन्य मौसमी सब्जियां व दालें उगाकर भी मुनाफा ले रहे है. पास के गांव के दो लोगों को भी खेती में मदद के लिए स्थाई रोजगार को दे रखा है. वह सेब के सीजन के दौरान 10-12 लोगों को रोजगार दे देते है.
दो से तीन सालों में लगते सेब
उन सभी का कहना है कि सेब की परंपरागत खेती की अपेक्षा क्लोनट रूट स्टॉक पर तैयार बगीचों में कुल दो से तीन सालों में फल लगना शुरू हो जाते है. जबकि सेब की पुराने तरीके की खेती के बगीचों में फल आने में 10 साल से ज्यादा लग जाते है.
इस तरह से करें खेती
खेती में नई तकनीक को अपनाने वाले हेमराज गुप्ता कहते है कि पुराने तरीके से सेब की खेती पर उनके पांच बीघा बगीचे में 60 से 70 बॉक्स सेब को निकालते थे. इस दौरान उनको अपनी मेहनत का पूरा पैसा भी नहीं मिलता था. ऐसे में उन्होंने सघन खेती के मॉडल को अपनाया और बगीचे में सुधार किया है. इसके लिए बागवानी विभाग ने पांच बीघा जमीन के लिए उन्नत नस्ल के 1 हजार के सेब के पौधों को उपलब्ध करवाएं. उनके बगीचे पहली बार सेब के 200 बॉक्स निकले है. इस बार उनको सेब की खेती से पांच लाख तक की कमाई हुई है.
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