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Mangifera indica: आम को "फलों का राजा" कहा जाता है और यह भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आधुनिक रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरणीय संतुलन और फलों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. जैविक आम की खेती मानव स्वास्थ्य, मिट्टी और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी है. प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग से टिकाऊ खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है.
उचित किस्मों का चयन
- रोग एवं कीट प्रतिरोधी किस्में: लंगड़ा, दशहरी, आम्रपाली, मल्लिका आदि.
- स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुकूल किस्में, जिससे फूल और फल झड़ने की समस्या कम हो.
स्वस्थ एवं रोगमुक्त पौधों का चयन
- प्रमाणित नर्सरी से स्वस्थ पौध सामग्री खरीदें.
- रोपण से पहले जैविक निवारक घोल (नीम तेल, जैविक फफूंदनाशक) से उपचार करें.
- माइकोराइजा और Trichoderma जैसे लाभकारी सूक्ष्मजीवों का उपयोग करें.
मिट्टी का स्वास्थ्य एवं प्रबंधन
जैविक खाद: गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, हरी खाद, जैविक मल्चिंग.
अंतरफसल (लेग्युमिनस फसलें) का प्रयोग उर्वरता बढ़ाने हेतु.
जैव उर्वरक (Rhizobium, PSB, KMB) का उपयोग करें.
खरपतवार प्रबंधन एवं स्वच्छता
- नियमित निराई-गुड़ाई करें.
- गिरे हुए पत्ते, सड़े-गले फल, रोगग्रस्त टहनियाँ हटाएँ.
- स्वच्छता बनाए रखकर रोग एवं कीट नियंत्रण करें.
जैविक कीट एवं रोग प्रबंधन
(क) जैविक कीटनाशक एवं रोगनाशक
नीम तेल (5%), दशपर्णी अर्क, लहसुन-अदरक-नीम मिश्रण, गोमूत्र आधारित कीटनाशक.
Trichoderma, Bacillus subtilis, BT (Bacillus thuringiensis) का उपयोग.
मित्र कीटों (लेडी बर्ड बीटल, परजीवी ततैया) को संरक्षण दें.
(ख) जैविक पादप अर्क एवं घरेलू उपचार
नीम की पत्तियों का अर्क, करंज तेल, लहसुन-नीम अर्क का छिड़काव.
किसी भी नए अर्क को पहले कुछ पौधों पर परीक्षण करें.
अंतरफसल एवं फसल विविधता
- आम के बाग में पपीता, गेंदा, अजवायन, तुलसी, मूंगफली, अरहर आदि उगाएँ.
- इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी.
- पानी का कुशल उपयोग एवं सिंचाई प्रबंधन
- टपक सिंचाई (Drip Irrigation) अपनाएँ.
- फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें, अधिक पानी से फंगल रोग बढ़ सकते हैं.
जैविक प्रमाणन एवं विपणन
जैविक प्रमाणन (PGS-India, NPOP, NOP-USDA) प्राप्त करें और स्थानीय बाजार, जैविक मेले और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करें.
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