अगर आप भी सेब की खेती करते हैं तो आपको इस समय अपनी फसल पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. सेब की बागवानी में कई तरह के रोग और कीट लगते हैं. इन्हीं में से एक स्कैब रोग भी है. सेब की फसल में लगने वाले अधिकतर और घातक रोगों में यह शामिल है. इसके प्रकोप से फसल को बचाने के लिए अगर समय रहते सेब किसान उपाय नहीं करते हैं, तो यह पूरे बाग को अपनी चपेट में ले सकता है.
इसका सीधा असर सेब उत्पादन पर देखने को मिल सकता है. जानकारों की मानें तो स्कैब पर नियंत्रण शुरुआती अवस्था में ही कर देना चाहिए.आज हम आपको सेब की खेती में लगने वाले स्कैब रोग की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. साथ ही हम आपको बताएंगे कि इसके लक्षण क्या हैं और किस तरह रोग को नियंत्रित कर किसान बिना किसी नुकसान के अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
क्यों लगता है स्कैब रोग? (Why is there scab disease?)
बागवानी विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम में बदलाव होना ही सेब पर स्कैब रोग के खतरे को बढ़ा देता है. ऐसे में मौसम परिवर्तन के दौरान किसानों और बागवानों को सचेत रहना चाहिये. समय-समय पर जरूरत के मुताबिक सेब के पौधों पर स्प्रे करना चाहिए. बारिश के दौरान सेब की पत्तियों में फफूंद लग जाती है जिससे स्कैब का खतरा बढ़ जाता है.
स्कैब रोग के लक्षण (Symptoms of scab disease)
सेब का स्कैब रोग एक तरह का फंगस होता है. यह रोग फल और पत्तियों को अपनी चपेट में लेता है. फल और पत्तियों पर बड़े अकार के धब्बे पड़ जाते हैं. रोग के लगने से सेब की पत्तियों का निचला हिस्सा भूरे रंग का हो जाता है और इसका असर धीरे-धीरे फल पर भी होने लगता है. यही वजह है कि सेब में दाग- धब्बे पड़ जाते हैं. ये धब्बे कभी भूरे और काले रंग में भी दिखते हैं. इस रोग की वजह से पत्तियों के साथ फल का विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाता है.
स्कैब रोग से कैसे करें फसल सुरक्षा (How to do crop protection from scab disease)
स्कैब रोग की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों द्वारा बगीचों में कैप्टान, डोडीन और मैकोजेब स्प्रे किए जाने की सलाह दी जाती है. बागवान 200 लीटर पानी में 600 ग्राम कैप्टान का घोल तैयार करके उसका छिड़काव पौधों पर करें.
ये खबर भी पढ़ें: मक्का में फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान एवं उसका प्रबंधन
साथ ही 600 ग्राम मैकोजेब को 200 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़कें. 200 लीटर पानी में 200 ग्राम डोडीन को मिलाकर भी स्प्रे किया जा सकता है. इसके साथ ही किसान और बागवान स्कैब रोग से फसल बचाव के लिए समय पर फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें और खरपरवार को बगीचों में न पनपने दें.
Share your comments