पशुओं में अक्सर मुंहपका और खुरपका रोगों (Mouth And Foot Diseases) का प्रकोप बढ़ता है. ऐसे में पशुपालक अपने पशुओं की देखभाल के लिए एवं उनको इन रोगों से निजात दिलाने के लिए उनको समय पर टीकाकारण (Vaccination) करवाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य के पशुपालक पशुओं को इन रोगों से ग्रसित होने पर भी पशुओं में टीकाकरण नहीं करवा रहे हैं. आखिर क्या है मामला जानने के लिए पढ़िए इस लेख को.
दरअसल. कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश से एक मामला सामने आया था, जहां गाय की बछिया को मुंहपका और खुरपका रोगों से बचाव के लिए टीकारण करवाया. इसके बाद बछिया का टैगिंग भी किया गया, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पाया कि उनके बछिया के कान में टैगिंग होने से कीड़े पड़ने लगे, जिससे उन्हें अपनी बछिया की चिंता सताने लगी. इसे देख राज्य के सभी निवासी किसान भाई भी अपने पशुओं में टीका लगवाने के लिए माना करने लगे.
पशुओं में टीकाकरण प्रक्रिया (Vaccination Process In Animals)
बता कि दें खुरपका-मुंहपका एक तरह की जानलेवा रोग है, जो पशुओं में आमतौर पर होने वाला रोग होता है. इसके बचाव के लिए सरकार द्वारा देशभर में कई टीकाकरण अभियान को चलाया जा रहा है. जिसके बाद पशुओं में टैगिंग की जाती है, जिससे यह ज्ञात रहता है कितने पशुओं को टिका लग चुका है.
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इस कार्यक्रम के तहत साल में दो बार पशुओं को एफएमडी के टीके लगाए जाते हैं. इसके चलते पिछले साल 30 नवंबर तक देशभर के सभी पशुओं को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन ज्यादातर प्रदेशों में पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हो पाया है, क्योंकि इस मामले को देखकर सभी राज्य के पशुपालक टैगिंग को लेकर काफी सतर्क हो गये है.
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